सीमा पर दोहरे खतरे को देखते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी: राजनाथ

नई दिल्ली,18 जून  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि सीमाओं पर दोहरे खतरे और दुनिया भर में रण कौशल के बदलते आयामों के मद्देनजर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत के लिए विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन गई है। श्री सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पूर्व सैनिकों के एक थिंक-टैंक और एक मीडिया संगठन द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर आयोजित रक्षा संवाद के दौरान यह बात कही। रक्षा मंत्री ने मजबूत और आत्मनिर्भर सेना को संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ बताया, जो सीमाओं की रक्षा के साथ साथ देश की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करती है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सशस्त्र बल विदेशी हथियारों और उपकरणों पर निर्भर न रहें। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली शक्ति ‘आत्मनिर्भर’ होने में निहित है और आपात स्थिति उत्पन्न होने पर इसका विशेष महत्व होता है। श्री सिंह ने प्रौद्योगिकी द्वारा ऋण कौशल के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों और प्लेटफार्मों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया जो नई और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को सक्षम बनाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, आज अधिकांश हथियार इलेक्ट्रॉनिक-आधारित प्रणालियां हैं, जो शत्रुओं के समक्ष संवेदनशील जानकारी प्रकट कर सकते हैं। चूंकि आयातित उपकरणों की कुछ सीमाएँ हैं, हमें इसके दायरे से आगे जाने और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता अर्जित करने की आवश्यकता है। नवीनतम हथियार/उपकरण हमारे सैनिकों की बहादुरी के समान ही महत्वपूर्ण हैं। यदि भारत वैश्विक स्तर पर एक सैन्य शक्ति बनना चाहता है, तो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है।