विश्व पर्यावरण दिवस : PEKB में कर्मचारियों ने प्लास्टिक प्रदूषण को हराने का लिया संकल्प, 2500 से अधिक पौधों का किया रोपण

अम्बिकापुर; 5 जून 2023: जिले के उदयपुर तहसील में स्थित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) कोल माइंस में, पर्यावरण के प्रति कर्मचारियों और कामगारों में जागरूकता लाने हेतु प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पांच दिवसीय विश्व पर्यावरण दिवस 2023 महोत्सव का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी थीम “पारिस्थितिकी तंत्र के बहाली के लिए प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं” मुहिम के अंतर्गत 1 जून से 5 जून के बीच पर्यावरण और इसके सुधारों से संबंधित स्लोगन, पोस्टर, अभिनव विचारों आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग गतिविधियां व प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।

प्रतियोगिता की शुरुआत में पीईकेबी में मिशन जीवन संकल्प के अंतर्गत लोगों को पर्यावरण के लिए जीवन शैली में बदलाव के बारे में बताया गया इस दौरान 500 से अधिक कर्मचारियों ने शपथ ली। इसी कड़ी में अगले चार दिनों में अदाणी विद्या मंदिर, साल्ही, तथा टाउनशिप, गुमगा सहित ग्राम बासेन, घाटबर्रा, फतेहपुर और तारा के शासकीय स्कूलों में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन कर विद्यार्थीयों को मिशन लाइफ के संबंध में जागरूकता प्रदान की गई। वहीं जून 5 को विश्व पर्यावरण दिवस के दिन सरगुजा क्लस्टर हेड श्री मनोज कुमार शाही, सहित अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा खदान के लगभग एक हेक्टेयर के पूर्व खनन क्षेत्र में 2500 से अधिक पौधों का रोपण किया गया। महोत्सव के दौरान सभी गांव के स्कूलों के 600 से अधिक विद्यार्थियों तथा 40 से अधिक शिक्षकों ने प्रतियोगिता में भाग लेकर पर्यावरण के प्रति अपनी सोच को स्लोगन, पोस्टर और चित्रकला के माध्यम से उकेर कर प्लास्टिक से उसकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने का संदेश दिया। इस दौरान प्रतियोगिता में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम के पीईकेबी खुली खदान के एमडीओ अदाणी ईंन्टरप्राजेस एक जिम्मेदार खननकर्ता के रूप खनन के बाद अब तक कुल 1000 एकड़ के पूर्व खनन के जमीन में क्षेत्र की जैव विविधीता में संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से दस वर्ष पहले लगभग नौ एकड़ में नर्सरी स्थापित किया था। जिसमें साल सहित कुल 43 तरह की प्रजातियों जिनमें, खैर, बीजा, हर्रा, बहेरा, बरगद, सागौन, महुआ के साथ- साथ कई फलदार वृक्ष जैसे आम, अमरूद, कटहल, पपीता इत्यादि के पौधों को तैयार किया गया है। जिसे स्थानीय लोगों द्वारा अनुभवी बागवानी विशेषज्ञों के मदद से इन क्षेत्रों में रोपित किया जाता है। इसके बाद हर एक पौधों को ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से पानी देकर बड़ा किया जाता है। जो अब एक पूर्ण विकसित जंगल का रुप लेता जा रहा है।

पीईकेबी खदान के इस रिक्लेम्ड क्षेत्र में विभाग द्वारा अब तक 10 लाख से ज्यादा वृक्ष लगाए जा चुके हैं जो आज काफी ऊंचे पेड़ बन चुके हैं। इसके साथ ही विदेश से आयात की गई एक खास ट्री ट्रांसप्लांटर मशीन के द्वारा 60 इंच से कम मोटाई वाले करीब 10 हजार पेड़ों को भी जंगलों से स्थानांतरित कर इसी जगह पुनर्रोपण किया गया है। इस तरह इस क्षेत्र की जैव विविधता अब वापस लौटने लगी है। इस जंगल में अब कई तरह के पक्षी अपना घोंसला बनाकार रहने लगे हैं। वहीं जंगली जानवरों में अभी हालही में भालू और बंदरो को भी देखा गया है। वनीकरण के इस अभियान की सराहना कई बड़ी संस्थाओं तथा बुद्धिजीवियों द्वारा की गई साथ ही कई पुरस्कार भी जीते हैं।