कूनो में तीसरे चीते की मौत, शरीर पर थे चोट के निशान…

श्योपुर , 10 मई  कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। शासा, उदय के बाद अब एक और चीता दक्षा की मौत हो गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दक्षा की मौत पार्क के बड़े बाड़े में आपसी लड़ाई में हुई है। इससे पहले दो चीते मारे गए थे, उनमें से शासा की मौत किडनी के इंफेक्शन की वजह से हुई थी और उदय की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी।

वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नौ मई को सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में छोड़ी गई मादा चीता दक्षा को मॉनिटरिंग दल ने घायल पाया था। पशु चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। दोपहर 12 बजे दक्षा की मृत्यु हो गई। दक्षा बाडा क्रमांक एक में छोड़ी गई थी तथा समीप के बोमा क्रमांक सात में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता वायु तथा अग्नि को छोड़ा गया था।

विशेषज्ञ टीम ने दी थी साथ रखने की सलाह
30 अप्रैल को कूनो में एक बैठक हुई थी। इसमें नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आईजी डॉ. अमित मल्लिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रो. एड्रियन टोर्डिफ तथा दक्षिण अफ्रीका से आये चीता मेटा पापुलेशन इनिशियटिव के विन्सेंट वेन डार उपस्थित रहे थे। इस बैठक में ही तय हुआ था कि बाड़ा क्रमांक सात में मौजूद दक्षिण अफ्रीका से आए चीता कोयलिशन अग्नि तथा वायु को मादा चीता दक्षा के साथ रखा जाए। इसके बाद बाड़ा क्रमांक सात और एक के बीच का गेट एक मई को खोला गया था। छह मई को एक नर चीता दीक्षा चीता के बाड़े में दाखिल हुआ था।

विशेषज्ञों का कहना है कि मादा चीता दक्षा पर जो घाव पाए गए हैं, वह पहली नजर में चीते का हमला प्रतीत हो रहे हैं। दरअसल, मेटिंग के दौरान चीतों के बीच हिंसक व्यवहार सामान्य है। ऐसी स्थिति में निगरानी टीम की ओर से हस्तक्षेप की संभावना लगभग न के बराबर होती है। नियमानुसार मादा चीता का पोस्टमॉर्टम विशेषज्ञों की टीम कर रही है।