Raipur News : संगोष्टी में जुटे जया जादवानी, शरद कोकास, कैलाशवनवासी

रायपुर ,26 अप्रैल  कलाकार सांस्कृतिक संस्था द्वारा कविता कहानी का रचनात्मक संसार इस विषय पर हाल ही में एक संगोष्ठी आयोजित की गई । कांकेर में सम्पन्न इस संगोष्ठी मे कविता, कहानी और उपन्यास की रचना प्रक्रिया पर सारगर्भित चर्चा हुई। संगोष्टी के आरम्भ में कवि कथाकार तथा आलोचक शरद कोकास ने कविता के तत्वों एवं रचना के मनोविज्ञान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कविता आसमान से नहीं उतरती या किसी दैवीय शक्ति से अथवा वरदान से नहीं आती। उन्होने जीवन-अनुभव को रचना-अनुभव में बदलने की प्रक्रिया बताई। साथ ही स्व-अर्जित अनुभव और लेखन के बीच के संबंध को रेखांकित किया। कोकास ने रचना और रचनाकार की मन:स्थिति तथा अन्तःप्रेरणा और लेखन में मस्तिष्क की भूमिका पर बभी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने रचना में बिम्ब और प्रतीकों के प्रयोग, के अलावा सन्दर्भों की आवश्यकता और उपयोगिता तथा मिथकों के प्रयोग पर भी सार्थक संवाद किया। अपने संबोधन में उन्होंने तात्कालिक स्मृति और दीर्घकालिक स्मृति के साथ ही किसी रचनाकार के लिए पढने योग्य जरुरी किताबों पर भी प्रकाश डाला।  

इसके उपरान्त सुविख्यात कथाकार और उपन्यासकार जया जादवानी ने कहा कि पिछले करीब पचास वर्षों से हम स्त्री की जो छवि देखने के आदी रहे हैं, अब वह काफ़ी बदल गई है। हमारी पीढ़ी बीच में है, जिसका जीवन विद्रोह की ज्वाला के साथ बीता है। इसलिए भी क्योंकि हम अपनी बेटियों को एक नया समाज देना चाहते रहे।  एक ऐसा समाज, जिसमें नारीवाद की भी कोई जगह न हो। उन्होंने कहा कि नई नई तकनीकों ने स्त्रियों को बदल दिया है और अकेला भी कर दिया है। कुछ बरस पहले तक स्रियों को घर, पति, प्रेमी, और बच्चा चाहिए होता था। लेकिन अब उसे  अपना आप चाहिए। अब स्त्री अपने अंगों की बात करती है और अपने आर्गेज्म की बातभी करती है।हालाँकि अभी भी यह साहस मात्र मुठ्ठी भर स्त्रियाँ ही कर पाई हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या स्त्री अपनी नई स्वतंत्रता को पाकर खुश है?

इसी क्रम में कहानीकार कैलाश बनवासी ने कहा, जब तक जिंदगानी है तब तक कहानी है। कहानी हमारे जीवन से जुड़ी है। यह सिर्फ मनोरंजन नहीं है। बल्कि कहानी हमारी मनुष्यता को संरक्षित और संवर्धित ही करती है। कोई अच्छी कहानी पढ़ने के बाद हम वही नहीं रहते, जो पढ़ने के पहले थे। उन्होंने प्रेमचंद के ‘ईदगाह’ कहानी के उदाहरण से इसे विस्तार से समझाया कवियित्री सुमेधा अग्रने रचना मे स्त्री जीवन के मूल्यों और विसंगतियों को लेकर अपनी बात कही।  उन्होंने कहा कि स्त्री कहीं ही रहे, उसे अपने हिस्से का संघर्ष तो करना ही पड़ता है। कार्यक्रम के आयोजक कलाकार संस्था के अध्यक्ष अजय मंडावी ने हाल ही मे मिले पद्मसम्मान के विषय मे बताते हुए अपनी कला-यात्रा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की संयोजक स्मिता अखिलेश ने कार्यक्रम मे स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए इस साहित्यिक कार्यक्रम की उपयोगिता तथा औचित्य पर अपनी बात कही। कार्यक्रम मे स्थानीय महाविद्यालय की प्राचार्या सरला आतराम सहित अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर एक कला प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमे अनेक कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया गया।