Supreme Court verdict on Godhra Riots:गुजरात के गोधरा कांड में सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को जमानत दे दी है, हालांकि, 4 आरोपियों को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगाकर 59 लोगों की हत्या हो गई थी. इन सभी लोगों को निचली अदालत और हाई कोर्ट से उम्र कैद की सजा मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 17-18 साल जेल में समय गुजारने के आधार पर जमानत दी है. हालांकि, कोर्ट ने ऐसे 4 लोगों को जमानत से मना कर दिया है जिन्हें निचली अदालत ने मौत की सजा दी थी और हाई कोर्ट ने उसे उम्र कैद में बदल दिया था.
इन लोगों को मिली जमानत, इन्हें नहीं मिली राहत
लोगों को जमानत मिली है, उनके नाम हैं- यूनुस अब्दुल हक, मो. हनीफ, अब्दुल रउफ, इब्राहिम अब्दुल रज़ाक़, अब्दुल सत्तार गद्दी, अयूब अब्दुल गनी, सुलेमान अहमद, सोहेब यूसुफ. इन सभी लोगों पर ट्रेन में जल रहे लोगों को बाहर आने से रोकने का दोष साबित हुआ है. जिन 4 लोगों को शीर्ष कोर्ट ने रिहाई करने से इनकार कर दिया है. वह हैं- सौकत अब्दुल्ला, मेहबूब याकूब मीठा, अनवर मोहम्मद और सिद्दीक मोहम्मद मोरा नाम शामिल है. इन पर हत्या में सीधे तौर पर शामिल होने का दोष साबित हो चुका है. गुजरात सरकार ने इनको मौत की सज़ा देने की मांग की है.
11 दोषियों को मृत्युदंड की सजा
गोधराकांड में कुल 31 दोषियों में से 11 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जबकि 20 को आजीवन कारावास की सज़ा हुई थी. वहीं, अक्टूबर 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 लोगों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. निचली अदालत से उम्र कैद पाने वाले 20 लोगों की सजा को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था. इन सभी लोगों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
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