गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट खदान क्षेत्र में कुएं,हैंडपंप सूखने लगे,43 में से कुछ ही गांवों में टैंकर से पानी की सप्लाई

कोरबा,10अप्रैल। एसईसीएल की खदान प्रभावित गांवों में पानी की समस्या अब शुरू हो गई है। अप्रैल की शुरुआत में ही कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर 50 से 70 फीट से भी नीचे चला गया है। इन क्षेत्रों में तो बारिश के दिनों में भी पानी 50 फीट के नीचे रहता है। पीएचई ने 43 गांवों को ड्राई जोन घोषित किया है। इसमें से कुछ ही गांवों में एसईसीएल ने टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति शुरू की है। एसईसीएल की कोयला खदानों का विस्तार होने के साथ ही प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ती जा रही है। 4 साल पहले 3 गांवों की संख्या 32 थी। अब बढ़कर 43 पहुंच गई है।

खदानों की गहराई 150 से 200 मीटर तक होती है। इसकी वजह से ही गांवों का भू-जल स्तर प्रभावित होता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के इन गांवों में पेयजल के लिए हैंडपंप लगे हैं। लेकिन गर्मी के समय यह काम नहीं करते। ग्राम पंचायत हरदीबाजार की आबादी 7 हजार से अधिक है। नल जल योजना के तहत यहां तीन पानी टंकी का निर्माण कराया गया है। लेकिन दो में ही पानी आपूर्ति हो पाती है। एक पानी टंकी 15 साल बाद भी भू जल स्रोत नहीं मिलने के कारण सूखी पड़ी है। यहां आधी आबादी को ही नल से पानी मिल पाता है। 8 से अधिक बोर खनन के बाद भी पानी नहीं मिला। पीएचई ने इन गांवों को मल्टी विलेज में शामिल किया है। यहां एतनानगर प्रोजेक्ट से बांगो बांध से पानी की आपूर्ति होगी। इसमें अभी डेढ़ से 2 साल का समय लग सकता है। तब तक लोगों को गर्मी के समय पानी की समस्या से जूझना पड़ेगा।

5 साल पहले योजना बनी, फंड नहीं मिला- पीएचई विभाग ने खदान प्रभावित क्षेत्रों के लिए समूह जल प्रदाय योजना बनाई थी। लेकिन एसईसीएल से फंड ही नहीं मिला। गेवरा के 8 गांवों के लिए 14.90 करोड़, बांकी के 20 गांवों के लिए 16.90 करोड़ और रजगामार के 13 प्रभावित गांवों के लिए 15 .29 करोड़ की योजना आगे नहीं बढ़ पाई। अब जल जीवन मिशन में सभी गांव शामिल हैं।

इन गावों में साल भर रहती है पानी की समस्या-मलगांव, झिंगटपुर, बेलटिकरी, रलिया, अमगांव, भठोरा, बाम्हनपाठ, बतारी, सरईसिंगार, ढपढप, अरदा, ढेलवाडीह, सिंघाली, सोनपुरी, खैरभवना, भलपहरी, कनबेरी, तेलसरा, जपेली, बाता, चुरैल, भिलाईबाजार, मुड़ियानार, छिंदपुर, झाबर, नेहरू नगर, बिंझरी, पौंसरा, जमनीमुड़ा, शुक्लाखार, हर्राभांठा, पाली-पड़निया, हरदीबाजार, रतिजा, सिरकी, खोडरी, जटराजपारा, चैनपुर।

30 मी. नीचे जाने पर हैंडपंप हो जाते हैं बंद – पीएचई के मापदंड के अनुसार भू-जल स्तर 30 मीटर नीचे जाने के बाद हैंडपंप काम ही नहीं करते। इसके लिए पाइप बढ़ाई जाती है। जिले में औसतन अभी 16 मीटर भू-जल स्तर में गिरावट आई है। लेकिन खदान प्रभावित क्षेत्रों में इससे अधिक गिरावट आती है। इसका मुख्य कारण पहले से ही क्षेत्रों में भू-जल स्तर नीचे रहता है।

हरदीबाजार: खदान नजदीक पहुंचा तो कुंए जल्दी सुख गए – हरदी बाजार से लगे गांवों तक एसईसीएल की दीपका और गेवरा खदान नजदीक पहुंच गई है। इसकी वजह से अब कुंए और हैंडपंप जल्दी सूख गए। भाठापारा में टैंकर से पानी भरते हुए मनोज यादव ने बताया कि बोर भी जवाब देने लगे हैं। अभी कुछ ही स्थानों में बोर काम कर रहे हैं। रवि कुमार ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी निस्तार की होती है।

बांकीमोंगरा: अभी 80 से 90 फीट पर पानी, हैंडपंप बंद – कटघोरा ब्लॉक के इस क्षेत्र में अंडर ग्राउंड खदान है। इसकी वजह से भू-जल स्तर 50 फीट नीचे ही रहता है। अभी 80 से 90 फीट पर पानी मिल रहा है। कसईपाली के राजेश यादव ने बताया कि हैंडपंप बंद हो गए हैं। कीर्तन ने बताया कि बोर से पानी देने पाइप लाइन बिछाई गई वह भी लीकेज है। टैंकर से अभी पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है।

कुसमुंडा: पाली, पड़निया में हैंडपंप देने लगे जवाब – एसईसीएल खदान से लगे पाली गांव की आबादी 1 हजार के करीब है। यहां 17 हैंडपंप लगे हैं। साथ ही पंप भी लगाया गया है। अभी से हैंडपंप जवाब देने लगे हैं। पड़निया में भी 10 से अधिक हैंडपंप हैं। कनबेरी,रलिया, सलोरा में भी पानी की समस्या शुरू हो गई है। गांवों में एसईसीएल ही पानी टैंकर भेजेगी खदान प्रभावित क्षेत्रों में पानी की समस्या शुरू हो गई है। कई गांवों में टैंकर भी नहीं पहुंच रहा है?

  • प्रभावित क्षेत्रों में एसईसीएल को पानी टैंकर भेजने की जिम्मेदारी दी गई है। कहीं समस्या है तो उसे देखेंगे।
    खदान प्रभावित क्षेत्रों में पानी की समस्या क्यों होती है। हैंड पंप क्यों बंद हो जाते हैं?
  • खदान की वजह से इस क्षेत्र का भू-जल स्तर पहले से ही कम रहता है। सामान्य क्षेत्रों के बजाय यहां समस्या अधिक होती है?
    जल स्तर की क्या स्थिति है। खदान प्रभावित क्षेत्रों में अलग-अलग है क्या?
  • अभी औसतन 16 मीटर की गिरावट आई है। 30 मीटर गिरने के बाद भी हैंडपंप बंद होते हैं। लेकिन खदान क्षेत्रों में पहले से ही भूजल स्तर कम होने से परेशानी होती है।