कोरबा,10अप्रैल।डीएसपीएम पॉवर प्लांट DSPM Power Plant के एक नंबर की यूनिट में आई तकनीकी खराबी की वजह से राज्य बिजली उत्पादन कंपनी का 250 मेगावाट बिजली उत्पादन बाधित हो गया था। 25 दिनों तक चले सुधार कार्य के बाद आखिरकार अब बिजली उत्पादन शुरू हो गया है। जरूरी टेस्टिंग के बाद रविवार को लाइटअप किया गया। उसके बाद लोड बढ़ाया गया। अब यूनिट के उत्पादन में आने से सेंट्रल सेक्टर से 2400 मेगावाट के करीब बिजली लेनी पड़ रही है।16 मार्च को डीएसपीएम पॉवर प्लांट की एक नंबर की इकाई से बिजली उत्पादन बंद हो गया था। अधिकारियों ने टरबाइन में आई तकनीकी खराबी को वजह बताया। सुधार कार्य में बीएचईएल की टेक्निकल टीम जुटी हुई थी। इस दौरान डीएसपीएम प्लांट के दूसरे नंबर की 250 मेगावाट क्षमता की ही इकाई से बिजली उत्पादन जारी रहा। दूसरी ओर मड़वा पॉवर प्लांट के कोयला संकट को दूर कर जरूरत के अनुसार आपूर्ति से दोनों इकाईयों के परिचालन व मौसम में उतार-चढ़ाव से प्रदेश में घटी बिजली की डिमांड से राज्य पॉवर जनरेशन कंपनी को राहत मिली।
मार्च के अंतिम दिनों में बदले मौसम के मिजाज के बाद अप्रैल में भी बूंदाबादी के साथ बदली छायी रही है। इसी वजह से इस महीने के बीते 9 दिनों में बिजली की डिमांड 5 हजार मेगावाट से कम रही। रविवार को दोपहर में तेज धूप से बिजली की डिमांड 4900 मेगावाट के करीब बनी रही। आगे गर्मी बढ़ेगी और वातावरण शुष्क होने पर बिजली की डिमांड बढ़नी तय है।
बंद यूनिट के लाइटअप के बाद बढ़ाया लोड
डीएसपीएम पॉवर प्लांट के मुख्य अभियंता बीडी बघेल ने बताया कि संयंत्र के एक नंबर इकाई के बंद यूनिट का लाइटअप कर लिया है। यूनिट को यूनिट उत्पादन में लाने शनिवार से टीम जुटी हुई थी। जरूरी टेस्टिंग व अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने में लगभग 16 घंटे का समय लगा। लाइटअप के बाद अब लोड भी बढ़ाया गया है।
5300 मेगावाट रही बिजली की डिमांड
प्रदेश में अधिकतम बिजली की डिमांड के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। पिछले साल 5300 मेगावाट अधिकतम बिजली की डिमांड रही। इस साल फरवरी में ही 5200 मेगावाट के करीब बिजली की डिमांड रही। अगले 5 साल में प्रदेश में बिजली की मांग 7 हजार मेगावाट के आसपास होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए एचटीपीपी पॉवर प्लांट संयंत्र के विस्तार में जुटा है। 660 मेगावाट के दो सुपर क्रिटिकल यूनिट लगाई जाएगी। ताकि सेंट्रल सेक्टर पर निर्भरता कम किया जा सके।
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