एक रुपए वसूली के आरोप में घिरे डीआरसीएस के खिलाफ बयान दर्ज…

अब तारापुर प्रबंधक के विरुद्ध हुई शिकायत

रायगढ़। इन दिनों सहकारिता विभाग में कोहराम मचा हुआ है। उप पंजीयक सहकारिता चंद्रशेखर जायसवाल के विरुद्ध रायगढ़, खरसिया, लैलूंगा, घरघोड़ा, तमनार और पुसौर के प्रबंधकों ने एक रुपए प्रति क्विंटल वसूलने का आरोप लगाया है।

इस मामले में सभी प्रबंधकों के लिखित बयान हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि कई प्रबंधकों ने सहकारिता विभाग रायगढ़ के अधिकारियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली को उजागर किया है। इसी बीच तारापुर समिति प्रबंधक के विरुद्ध भी एक शिकायत हुई है।

धान खरीदी और उठाव का काम पूरा होने के बाद अवैध वसूली के आरोपों ने रायगढ़ जिले को हिलाकर रख दिया है। छह ब्लॉकों के समिति प्रबंधकों ने लिखित में कलेक्टर रायगढ़ को शिकायत की है। इसमें कहा गया है कि उप पंजीयक सहकारिता विभाग चंद्रशेखर जायसवाल ने क्रय किए गए धान के एवज में एक रुपए प्रति क्विंटल की दर से अवैध वसूली की है।

मातहत कर्मचारियों के माध्यम से डराने-धमकाने का काम किया गया। लिखित शिकायत में प्रबंधकों के हस्ताक्षर भी हैं। दबावपूर्वक सभी समितियों से राशि लेने के लिए धमकी भी दी गई। इसकी जानकारी होने के बाद कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने सभी प्रबंधकों को बुलाया था।

प्रबंधकों ने बताया कि विभाग के चुनिंदा कर्मचारियों को समितियों में वसूली के लिए भेजा जाता था। राशि न देने पर ये कर्मचारी कार्रवाई का डर दिखाते थे। उन्होंने मामले की सच्चाई जानी और जांच का जिम्मा अपर कलेक्टर राजीव पांडे को दिया है।

सूत्रों के मुताबिक सभी प्रबंधकों से एक-एक कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इस मामले की जानकारी मंत्री उमेश पटेल को भी दी गई है। बताया जा रहा है कि कलेक्टर इस बात से बेहद नाराज हैं और कड़ी कार्रवाई का मन बना चुके हैं।

नियुक्ति पर उठाए सवाल

इधर डीआरसीएस चंद्रशेखर जायसवाल के खिलाफ गंभीर शिकायतों से विभाग उबल रहा है। इसके बीच तारापुर प्रबंधक युगल पटेल की नियुक्ति को गलत बताते हुए शिकायत की गई है। आरोप है कि युगल पटेल की शैक्षिक योग्यता और निवास जिला अलग होने के कारण वे प्रबंधक बनने के लिए अपात्र हैं। ऋण वितरण में गड़बड़ी का भी आरोप है। फिलहाल इस मामले की भी जांच की जा रही है। कुछ लोग इसे डीआरसीएस प्रकरण से भी जोडक़र देख रहे हैं।

महिला कर्मचारियों का नाम भी आया

अवैध वसूली के मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि पहली बार सहकारिता विभाग के महिला कर्मचारियों का नाम आ रहा है। प्रबंधकों की शिकायत में कई महिला अधिकारियों का नाम भी डाला गया है। इन्हीं के जरिए वसूली कराने का आरोप लगाया गया है।

बीते दिनों जतरी समिति से रिकवरी के मामले में भी दो महिला सहकारिता निरीक्षकों का नाम सामने आ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि समितियों को एफआईआर से बचाने के लिए विशेष ऑडिट नहीं कराया जा रहा है। समितियों से रिकवरी के लिए भी विधिवत् कार्रवाई नहीं की जा रही है।