खतरनाक होली: पूरी रात होते हैं बारूद से धमाके, पिचकारी की जगह चलती है बंदूक

पूरे देश में होलिका दहन और धुलंडी का त्योहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कहीं कोई स्वांग रचाया जाता है तो कहीं सुबह होलिका दहन किया जाता है। लेकिन राजस्थान में एक अनोखी होली ऐसे भी मनाई जाती है हम बात कर रहे हैं राजस्थान के उदयपुर जिले के मेनार गांव की। जहां होलिका दहन के बाद पूरी रात बंदूकों और तोपों से गोला बारूद छोड़ा जाता है। यहां सबसे पहले तो गांव के ओमकारेश्वर चबूतरे पर लाल कारपेट बिछाई जाती है। इसके बाद ग्रामीण अमल कंसूबे की रस्म अदा करते हैं। 

हालांकि इस बार यह होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। लेकिन इसके लिए उदयपुर के मेवाड़ इलाके के लोगों ने तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। गोला बारूद छोड़ने वालों ने अभी से ही प्रेक्टिस करना शुरू कर दिया है। पूरी रात में इतने फायर और गोला-बारूद छोड़े जाते हैं कि 1 सेकंड तक आवाज रुकती नहीं है।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि जब मेवाड़ अमर सिंह का राज्य था उस समय जगह-जगह मुगलों की छावनी थी। मेनार दुर्ग के पूर्व दिशा में भी एक छावनी बनाई हुई थी। जिस के आतंक से गांव के लोग परेशान हो चुके थे।

जब गांव वासियों को वल्लभ नगर छावनी पर जीत का समाचार मिला तो गांव के लोग ओमकारेश्वर चबूतरे पर इकट्ठे हुए और युद्ध की तैयारी की। इसके बाद से ही इस होली की शुरुआत हो गई। 

तब से लेकर आज तक कोई भी होली ऐसी नहीं गई कि जब मेनार में गोला बारूद और गोलियां नही छोड़ी गई हो।