Holi 2023: प्यार भी, तकरार भी… इन बॉलीवुड फिल्मों की कहानियों में बखूबी मनाया गया होली का त्योहार

मुंबई,06 मार्च । हिंदी फिल्मों का अहम हिस्सा रही है होली। इस दौरान कभी कोई प्यार का इजहार करता है तो कहीं दूर होते हैं शिकवे। हालांकि कुछ फिल्मों में होली के बाद कहानी ने नया मोड़ लिया है। फिल्मों पर होली के इस रंग को समेटता स्मिता श्रीवास्तव का आलेख। रंगों के त्योहार होली में मस्ती-ठिठोली जमकर होती है। इस मस्ती की आड़ में कभी कोई दिल की बात कह जाता है। तो कई बार लंबे समय से चले आ रहे गले-शिकवे दूर हो जाते हैं। हिंदी सिनेमा में लाल, पीले, नीले, बैंगनी रंग से पुते चेहरे के साथ नायक-नायिका के बीच नोकझोंक और रूठने-मनाने के साथ कहानी के कई पहलुओं को भी दर्शाया गया है।

होली को जोश और उमंग के साथ मनाने के साथ निर्देशकों ने इन्हें फिल्मों का टर्निंग प्वाइंट भी बनाया है। घरों में शौचालय की आवश्यकता को दर्शाती फिल्म टायलेट: एक प्रेमकथा’ में केशव शर्मा (अक्षय कुमार) होली मनाने को लेकर काफी उत्साहित होता है। वह जया (भूमि पेडनेकर) के साथ होली मनाने व रूठी पत्नी को घर ले जाने के इरादे से आता है। फिल्म में गोरी तू लठ मार’ गाना मथुरा में होने वाली लठामार होली की प्रथा दिखाई गई है। गलती मान रहे केशव की सादगी जया के दिल में उसके प्रति प्यार जगाती है। हिंदी फिल्मों में होली की आड़ में प्रेम के पनपने, रूठने मनाने और प्यार के इजहार के ऐसे तमाम प्रसंग अक्सरा देखने को मिले हैं।

रंगीन भावों से सजा गीत

फिल्म शोले’ में किशोर कुमार और लता मंगेशकर द्वारा गाए गीत ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं’ में खुशी, उल्लास, प्रेम, बिछोह सब तरह के भावों का समावेश है। इसमें फ्लैशबैक होली सीक्वेंस के जरिए यह बताया गया है कि ठाकुर की छोटी बहू राधा (जया भादुड़ी) आम लड़कियों की तरह किसी जमाने में नटखट और शैतान थी।

उसके जीवन में होली के रंगों के तरह तमाम रंग थे, लेकिन गब्बर सिंह ने उसके पति समेत समूचे ठाकुर परिवार की हत्या कर उसका जीवन बदरंग कर दिया होता है। रंगों से प्यार करने वाली राधा सफेद साड़ी पहने बेहद शांत रहने लगी है। इसी फिल्म में होली का धमाल बसंती (हेमा मालिनी) और वीरू (धर्मेंद्र)  को करीब लाता है। होली के बाद ही ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) का बदला पूरा होता है।

सामने आता है रिश्ते का सच

होली में नाच गाने, मस्ती ठिठोली, एक-दूसरे को रंगों से सरोबार करने के बीच फिल्ममेकरों ने रिश्तों की परतों को भी खोला है। इसमें प्रमुख तौर पर जिक्र आता है यशराज बैनर तले बनी अमिताभ बच्चन, रेखा, संजीव कुमार और जया बच्चन अभिनीत फिल्म सिलसिला’ का। इसका गाना ‘रंग बरसे भीगे चुनरवाली’ आज भी हर होली पर धूम मचाता है। इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म में शादी के बाद दो जोड़ों की जिंदगी में प्रेम, परिवार और जिम्मेदारी की कशमकश को दर्शाया गया है।

इसमें अमिताभ की आवाज में ‘रंग बरसे’ गीत के दौरान होली का हुड़दंग नजर आता है। साथ ही अमित मल्होत्रा (अमिताभ बच्चन) और चांदनी (रेखा) की आपसी चुहलबाजी सबकी निगाहों में आती है। दोनों को एक साथ देखकर अमित की पत्नी शोभा मल्होत्रा (जया बच्चन) और चांदनी के पति डा. वी. के. आनंद (संजीव कुमार) को समझ आता है कि दोनों मात्र परिचित नहीं हैं, उनमें काफी नजदीकियां हैं। इसके बाद कहानी का ट्रैक ही बदल जाता है।

उल्लास में घुला कसैला स्वाद

फिल्म दामिनी’ में तारीख पे तारीख’ संवाद के लिए विख्यात हुई सनी देओल की इस फिल्म में होली का सीक्वेंस कहानी को नया मोड़ देता है। जहां होली के जश्न में डूबे लोग नाच गा रहे हैं। भोली-भाली दामिनी (मीनाक्षी शेषाद्री) पति शेखर (ऋषि कपूर) के साथ शादी के बाद पहली होली मना रही है। हर तरफ खुशी और उल्लास का माहौल है, मगर दूसरी ओर शराब के नशे में धुत शेखर का छोटा भाई और उसके तीन दोस्त नौकरानी उर्मी को जबरन रंग लगा रहे होते हैं। दामिनी उन्हें रोकती है तो चारों वहां से चुपचाप खिसक जाते हैं। होली के उल्लास में डूबी दामिनी के रंग में भंग तब पड़ता है जब वह देखती है कि चारों नौकरानी को उठाकर ले जा रहे हैं। उन्हें रोकने में असफल होने पर वह पति को बुलाती है पर चारों की हैवानियत देखकर बेहोश हो जाती है। फिर शुरू होती है दामिनी की उर्मी को न्याय दिलाने की लड़ाई!

जब मस्ती पर गहराया डर का अबीर

फिल्म डर’ में निभाया शाह रुख खान का जुनूनी आशिक का पात्र राहुल आज भी लोगों को याद है। फिल्म में राहुल कहता है कि वह घर आकर किरण (जूही चावला) को रंग लगाएगा। होली सीक्वेंस आता है और अंग से अंग लगाना’ गीत के दौरान किरण के भाई विजय (अनुपम खेर) और भाभी पूनम (तन्वी आजमी) की मस्ती, अल्हड़पन चल रहा होता है। तभी ढोल बजाते हुए एंट्री होती है राहुल मेहरा (शाह रुख) की। सब होली की मस्ती में डूबे हैं। किरण और सुनील (सनी देओल) की नजदीकी से राहुल की जलन साफ दिख रही है। वह किरण को रंग लगाता है। जिससे किरण चिल्लाती है, सुनील उसे पकड़ने आता है, मगर तब तक राहुल फरार हो जाता है।

खुलती हैं परतें जिंदगी की

अमिताभ बच्चन संभव: हिंदी सिनेमा के उन कलाकारों में रहे हैं जिनकी कई फिल्मों का हिस्सा रही है होली। फिल्म वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम’ में ईश्वर चंद्र ठाकुर (अमिताभ) अपने गैर-जिम्मेदार बेटे आदित्य ठाकुर (अक्षय कुमार) को जिम्मेदार इंसान बनते हुए देखना चाहते हैं, लेकिन वह विफल हो जाते हैं। होली के दौरान ही आदित्य को पता चलता है कि उसकी पत्नी (प्रियंका चोपड़ा) गर्भवती है। इसके तुरंत बाद ईश्वरचंद्र बेटे आदित्य को घर से निकाल देते हैं, ताकि वह जीवन की ठोकरें खाकर जिम्मेदारियों का एहसास कर सके। अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म बागबान’ के होली खेले रघुवीरा अवध में..’ गाने में होली का माहौल रंग जमाता है। इस गाने के बाद राज मल्होत्रा (अमिताभ बच्चन) अपने बच्चों के साथ रहने की इच्छा रखते हैं, लेकिन बच्चे माता-पिता को साथ रखने को लेकर अनमने ढंग से राजी होते हैं और तब सामने आता है आधुनिक संतानों का असली चेहरा।

इसी तरह हाल में डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई फिल्म गुलमोहर’ में परिवार की मुखिया चाहती हैं कि उम्र के इस पड़ाव वह अकेले पांडिचेरी में रहें, लेकिन जाने से पहले पूरे परिवार के साथ होली मनाना चाहती हैं। होली मनाने से पहले ही परिवार के सदस्यों की जिंदगानी की कई परतें खुलती हैं। आखिर में तमाम गिले-शिकवों को किनारे रखते हुए परिवार एकजुट होता है और होली के रंग में सब सरोबार हो जाते हैं।