राजिम ,19 फरवरी । छत्तीसगढ़ की पहचान से जुड़े लोक नृत्य पंथी के विशिष्ट नर्तक पद्मश्री डॉ राधेश्याम बारले ने कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है इसके लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है तब कहीं आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है। दिन-रात हर समय इसी विधा पर डूबे रहते हैं। आजकल नए कलाकार कम समय में प्रसिद्धि पाने के चक्कर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि पंथी आजकल आधुनिक और पारंपरिक दोनों हो गए हैं। हम पारंपरिक शैली प्रस्तुत करते हैं जिसमें झांझ और मांदर वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है। मेरा जन्म दुर्ग जिले के पाटन तहसील के ग्राम खोला में 9 अक्टूबर 1966 में हुआ है।
डॉक्टरी के साथ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में लोक संगीत में डिप्लोमा किया है कला के क्षेत्र में अनेक सम्मान मिल चुके हैं। पिछले वर्ष पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया इससे मुझे बहुत खुशी मिली और मेरे से ज्यादा पूरे प्रदेश में खुशी का माहौल रहा, मेहनत का परिणाम जरूर मिलता है अच्छा करने पर अच्छा।
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उन्होंने बताया कि पंथी नृत्य में गुरु घासीदास बाबा के उद्देश्य उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन तथा लोगों को शिक्षित करने का काम किया जाता है। पांव में घुंघरू बांध कर एक साथ नृत्य करने की कला लोगों को खासा प्रभावित करती है। उन्होंने नए कलाकारों के लिए कहा आगे बढ़ने के लिए खूब मेहनत करें सफलता आपके कदम चूमेगी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मंच ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और कहा कि यह देश का प्रतिष्ठित मंच है जिसमें कार्यक्रम देने का अवसर मिल रहा है इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है इस सरकार ने छत्तीसगढ़ के कलाकारों को मंच देकर बहुत अनुकरणीय कार्य किया है। गीत संगीत मां सरस्वती का वरदान है। इनका हमेशा सम्मान करें।
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