सरकार का प्रयास बहुत बढ़िया है :सुनील तिवारी

राजिम ,19 फरवरी । छत्तीसगढ़ के फेमस रंग झाझर लोक गायक सुनील तिवारी ने कार्यक्रम प्रस्तुति के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कोविड-19 के बाद सभी का नया जीवन शुरू हुआ है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा तकलीफ कलाकारों को ही थी। तिवारी ने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा को निखार रहे हैं उससे लगता है कि अब फिर से हमारी छत्तीसगढ़ी सभ्यता संस्कृति को लोग सही ढंग से मानेंगे।

पुरातन महत्ता को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बढ़िया काम कर रहा है, हमारी संस्कृति कला माटी को उभार रहा है। उन्होंने बताया कि शुरुआत हिंदी गाना से हुआ धीरे-धीरे मन बदला और अपनी संस्कृति और भाषा की ओर आकर्षित हुआ। फिर मंचों में खुमान साव, लक्ष्मण मस्तूरिया, कुलेश्वर ताम्रकार, केदार यादव के गाने गाया ऐसे मूरधन लोगों का सानिध्य मिला। सोनहा बिहान चंदैनी गोंदा देखते थे, जिसके बाद आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं।

तिवारी ने बताया कि राजनांदगांव क्षेत्र लोक कलाकारों का उद्गम स्थल है। मुझे पहली बार मेरे गुरुजी खुमान साव ने जय बमलेश्वरी मैया फिल्म में गाना गवाया था, जिससे वह काफी प्रभावित हुए। यह गाना मुंबई में रिकॉर्ड हुआ था यही मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट बना। इसके बाद गुरुजी खुमान साव अपने लोक कला चंदैनी गोंदा में मुझे आने का ऑफर दिया, किसी कारणवश कठिनाई के चलते शामिल नहीं हो पाया। बाद में खुद का अलग पार्टी बनाकर आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। उनहोंने बताया कि चाहे मैं जितना भी बड़ा या अच्छा गायक रहूं मेरे गुरुजी खुमान साव के सामने गाने की हिम्मत नहीं होती थी।

उन्होंने छत्तीसगढ़ की आबोहवा और माहौल ग्रामीण परिवेश को प्रेरणा माना। बताया कि उनके पापा आर्मी में थे जो तीनों युद्ध लड़े हैं। मैं पायलट हूं। गायन के क्षेत्र में रुझान बढ़ने पर गायकी की ओर अधिक ध्यान दिया। सरकार का प्रयास बहुत बढ़िया है पहले आयोजन कुछ ही के हिस्से में आता था अब थोड़ा-थोड़ा सब के हिस्से में आ रहा है। अब के नए कलाकार लोक कला मंच में आगे नहीं आ रहे हैं, बल्कि लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए आ रहे हैं। रातों-रात स्टार बनने हल्की चीजों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे हमें बचना है। सोशल मीडिया में फिल्टर नहीं है। लाइक कमेंट के चक्कर में सीमाएं लांघ रहे हैं, यही लोग लोककला को खाय जा रहे है।

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