Raipur News : पारंपरिक ज्ञान व चिकित्सा पद्धति पर रविशंकर विवि में राष्ट्रीय संगोष्ठी 14 से

रायपुर,13 फरवरी  भारत में आदिवासियों का विकास, परंपरागत ज्ञान एवं देशज व्यवस्था के विभिन्न आयामों पर मंगलवार से पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। आईसीएसएसआर नई दिल्ली, युनिसेफ और छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग के विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान अध्ययनशाला द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में देशभर के प्रख्यात समाज-विज्ञानी, मानव-शास्त्री, प्राध्यापक, युनीसेफ के अधिकार, छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं अनुसूचित जनजाति विभाग के प्रतिनिधि और शोधार्थी शिरकत करेंगे। तीन दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय सेमिनार में सोलह तकनीकी सत्र होंगे, जिसमें एक सौ तीस से ज्यादा शोध-पत्र पढ़े जायेंगे। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के कला संकाय के हांल क्रमांक एक एवं दो में संपन्न होगा।

ख्यात समाज विज्ञानी व आईसीएसएसआर नई दिल्ली के अध्यक्ष पद्मश्री जेके बजाज करेंगे शुभारंभ

तीन दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली के अध्यक्ष व ख्यात समाज विज्ञानी पद्मश्री डां. जे.के.बजाज करेंगे। वे सेमिनार से शुभारंभ पर मुख्य अतिथि के रूप में अपना व्याख्यान देंगे। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डां.पी.सी.जोशी व पद्मश्री अजय कुमार मंडावी होंगे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डां. केशरीलाल वर्मा करेंगे

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कार्यक्रम के संयोजक निदेशक व मानव विज्ञान अध्ययनशाला के अध्यक्ष प्रो.डां.अशोक प्रधान ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के परंपरागत ज्ञान और देशज व्यवस्था के साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विभिन्न आयामों पर विशद् चर्चा होगी। कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के समाज-विज्ञानी, मानव-शास्त्री, प्राध्यापक और शोधार्थी विशेषकर आदिवासी अंचल की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के महत्व और उसके संरक्षण व संवर्दधन पर चर्चा करेंगे।

पारंपरिक ज्ञान पर आधारित स्वास्थ्य शिविर भी लगाये जायेंगे
तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में देश के पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा जिसमें छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के बाहर के दस पारंपरिक चिकित्सक (आदिवासी बैगा) पारंपरिक औषधियों से माध्यम से लोगों का इलाज करेंगे। शिविर के दौरान नाड़ी वैद्य भी उपस्थित रहेंगे जो नाड़ी देखकर बीमारी का पता लगायेंगे और उसका इलाज करेंगे। चिकित्सा शिविर पूरी तरह से निशुल्क और सभी लोगों के लिए होगा।