रायपुर, 17 जनवरी । कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में गांव-गांव में कृषि विभाग के मैदानी अधिकारी जाकर किसानों की समस्याओं का निराकरण करेंगे। मैदानी अधिकारी गांवों में भ्रमण के दौरान सप्ताह में कम से कम 5 गौठानों का अवलोकन करेंगे। अवलोकन के दौरान गौठानों के संचालन और वहां चल रही आर्थिक गतिविधियों का जायजा लेंगे। वे आज यहां महानदी भवन मंत्रालय में कृषि विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य फोकस किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप मैदानी अमले कृषि और उससे जुड़े विभागों की गतिविधियों पर विशेष ध्यान दें। किसानों से जुड़ी समस्याओं और उनके निराकरण के लिए पहल करें। किसानों को समय पर आदान सहायता के साथ ही अन्य जरूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए।
उन्होंने गोधन न्याय योजनांतर्गत 5 हजार गौठानों को स्वावलंबी बनाने का आव्हान करते हुए प्रत्येक जिले के 50 प्रतिशत गौठानों को स्वावलंबी बनाने को कहा। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षित करें। श्री चौबे ने कहा कि जहां-जहां ग्रीष्मकालीन धान बोया जा रहा है, उसकी जगह लघु धान्य रागी बोने के लिए प्रोत्साहित किया जाए औा इसके लिए जो कार्ययोजना बनाई गई उसे क्रियान्वित करें। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग के मैदानी अधिकारी निरतंर फील्ड में रहकर भ्रमण करें किसानों के सम्पर्क में रहकर उनकी मदद करें, उन्हें किसान चौपाल के माध्यम से अच्छी किस्म के बीज, खाद और फसलों की किस्मों की जानकारी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कृषि मजदूरों की कई बार अनुपलब्धता के कारण कृषि यंत्रों की मांग बढ़ी है, अतः विभागीय योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक कृषकों तक पहुंचाने हेतु पर्याप्त आंकलन करना सुनिश्चित करें, जिससे कि कृषि लागत में कमी, उत्पादन एवं वृद्धि का किसान अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने कहा कि गन्ना की नई किस्मों का अधिक से अधिक प्रचार करें इससे किसान उनका उपयोग करेंगे, जिससे शक्कर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। श्री चौबे ने कहा कि किसान समृद्धि योजना और शाकम्भरी योजना से किसानों को सिंचाई का लाभ दिलाये इसके लिए प्राथमिकता से परंपरागत माली मरार पटेल समाज को लाभ दिलाये। श्री चौबे ने कहा कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे प्रदर्शनों की जानकरी हेतु प्रदर्शन बोर्ड लगाए जाए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती का रकबा अधिक से अधिक बढ़ाए और साथ ही इसका प्रमाणीकरण भी करें। उन्होंने कहा कि बीज और खाद की माग निरंतर बढते जा रही है। यहां अच्छी बात है विभाग इसकी पूर्ति बेहतर ढंग कर रही है। उन्होंने कहा कि विभागीय योजनाओं का ही परिणाम है कि सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 में धान खरीदी के लक्ष्य 110 लाख मे.टन के विरूद्ध अद्यतन 100 लाख मे.टन धान की खरीदी कर सका है। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने मैदानी अधिकारी समस्त केन्द्रीय एवं राज्य पोषित योजनाओं तथा कृषि से संबंद्ध अन्य विभागों की समन्वित योजना के बेहतर क्रियान्वयन हेतु मैदानी अधिकारियों को सक्रिय कर शत-प्रतिशत लक्ष्य पूर्ति करने के निर्देश दिए। डॉ. कमलप्रीत ने कहा कि जो किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना अंतर्गत लाभ ले रहे हैं उन्हीं कृषकों का लगभग 50 प्रतिशत कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बना है। अतः बैंक एंव कृषि विभाग द्वारा विशेष कैंप लगाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने उद्यानिकी फसलों में दिए जाने वाले शून्य प्रतिशत ऋण योजना को प्रचार करने के निर्देश दिए। समीक्षा में कृषि विभाग के संचालक अयाज तम्बोली, बीज निगम के प्रबंध संचालक माथेश्वरन व्ही., मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक पी.एस. एल्मा, संयुक्त सचिव के.सी. पैकरा, कृषि विभाग के उप सचिव श्रीमती तुलिका प्रजापति, अपर संचालक एस.सी. पदम, जी.के. पीढ़िया, सी.बी. लोढ़ेकर, आर.के. चन्द्रवंशी सहित राज्य के सभी जिलों के कृषि विभाग के संभागीय एवं जिला अधिकारी शामिल हुए।
[metaslider id="347522"]