नई दिल्ली,15 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार जोशीमठ इन दिनों जमीन धंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरा शहर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है। घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। यहां तक कि कई घर नीचे धंस गए हैं।
कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से किया था इंकार
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड 16 जनवरी की बाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की पीठ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया था कि स्थिति से निपटने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थान हैं और सभी महत्वपूर्ण मामले इसमें नहीं आने चाहिए। कोर्ट ने सरस्वती की याचिका को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत से तत्काल सुनवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है। इसके साथ ही याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है। संत की याचिका में यह भी कहा गया है कि मानव जीवन व उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है, यदि ऐसा कुछ होता भी है तो राज्य व केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए।
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