नई दिल्ली।श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब का गुरुवार को दिल्ली के रोहिणी स्थित अंबेडकर अस्पताल में नार्को टेस्ट किया गया है। दिल्ली पुलिस गुरुवार सुबह आफताब को तिहाड़ जेल से अंबेडकर अस्पताल लेकर गई। यहां उसका जनरल मेडिकल चेकअप किया गया। इस दौरान आफताब का ब्लड प्रेशर, प्लस रेट, शरीर का तापमान, हर्ट बीट मापे गए, इसके बाद आफताब का नार्को टेस्ट शुरू किया गया।
आफताब का नार्को टेस्ट पूरा हो गया है। आफताब को फिलहाल ऑब्जरवेशन में रखा गया। करीब दो घंटे तक आफताब का नार्को टेस्ट चला है। थोड़ी देर के बाद ही दिल्ली पुलिस पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ रोहिणी स्थित अंबेडकर अस्पताल से तिहाड़ी जेल लेकर जाएगी। डॉ नवीन कुमार के नेतृत्व में सात डॉक्टरों की टीम ने नार्को टेस्ट किया।
प्रक्रिया के तहत नार्को टेस्ट करने वाली टीम ने आफताब को सहमति फॉर्म पढ़कर सुनाया। इसके बाद फॉर्म पर हस्ताक्षर लेने के बाद ये प्रक्रिया शुरू की गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की सहमति लेनी जरूरी होती है। नार्को टेस्ट को ट्रूथ सीरम भी कहा जाता है। कई अहम केसों में पहले भी इसका इस्तेमाल हो चुका है।
आफताब के नार्को टेस्ट के दौरान ये लोग थे मौजूद
आफताब के नार्को टेस्ट के दौरान OT में एक सीनियर एनेस्थीसिया एक्सपर्ट, FSL के एक साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट (यही आफताब से सवाल पूछ रहे हैं), एक OT अटेंडेंट, और FSL के 2 फोटो एक्सपर्ट्स मौजूद हैं। यही दोनों नार्को टेस्ट की रिकॉर्डिंग कर रहे है।
इन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश
- श्रद्धा का सिर कहां फेंका
- श्रद्धा के शव के बाकी हिस्से कहां हैं
- श्रद्धा का मोबाइल कहां है
- मर्डर के वक्त श्रद्धा के पहने हुए कपड़े कहां हैं
क्या होता है नार्को टेस्ट
नार्को टेस्ट में इंजेक्शन में एक तरह की साइकोएक्टिव दवा मिलाई जाती है. इसमें सोडियम पेंटोथल नाम का केमिकल होता है, जो जैसे ही नसों में उतरता है, शख्स कुछ मिनट से लेकर लंबे समय के लिए बेहोशी में चला जाता है।
इसके बाद जागने के दौरान अर्धबेहोशी की हालत में वो बिना किसी लागलपेट के वो वह सच भी बोल जाता है, जो सामान्य स्थिति में वह नहीं बताता। जांच एजेंसी तभी इस टेस्ट का इस्तेमाल करती हैं, जब अन्य सबूत उसके हाथ नहीं लगते। नियमों के मुताबिक, नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की अनुमति भी जरूरी होती है।
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