विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर लगभग 422 मिलियन लोगों को मधुमेह (डायबिटीज) है, और हर साल 1.5 मिलियन लोगों की डायबिटीज के कारण मौत होती है. WHO के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 96 मिलियन से अधिक लोगों को डायबिटीज होने का अनुमान है और अन्य करीब 96 मिलियन लोग ही Diabetes से ठीक हो चुके हैं, यहां डायबिटीज से सालाना कम से कम 6,00,000 मौतें होती हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह डब्ल्यूएचओ क्षेत्रीय निदेशक ने कहा- 2045 तक, अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस क्षेत्र में डायबिटीज के प्रसार में 68 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है.
मधुमेह कितने प्रकार के होते हैं?
आयुर्वेद के अनुसार यदि मूल में तीन प्रकार और दो प्रकार को जोड़ दिया जाए तो कुल मिलाकर मधुमेह मुख्य रूप से 5 प्रकार के होते हैं। आयुर्वेद में हर रोग के तीन कारण माने गए हैं, वात-पित्त-कफ। इन तीन दोषों के असंतुलन के कारण भी शुगर होता है। अगर कफ के कारण शुगर हो रहा है तो आयुर्वेदिक उपचार से आप इसे पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं।
अगर आपको बढ़े हुए पित्त की वजह से मधुमेह है, तो आप इसे आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से इस हद तक ठीक कर सकते हैं कि आपको यह महसूस नहीं होगा या आपको परेशान नहीं करेगा। वहीं अगर शरीर में हवा के असंतुलन के कारण आपको मधुमेह है तो आपको अधिक मेहनत करनी होगी और दवाओं और जीवनशैली के प्रति पूरी तरह जागरूक रहना होगा। क्योंकि वात के कारण होने वाला मधुमेह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है लेकिन आप इसे नियंत्रित कर सकते हैं।
उत्पत्ति की बात करें तो लोगों को शुगर की समस्या दो कारणों से होती है, पहला कारण आनुवंशिकता है। यानी परिवार में किसी को पहले से ही शुगर है और इस वजह से आपको यह जेनेटिकली हो गई है। इस प्रकार की शुगर को टाइप-1 डायबिटीज कहा जाता है। जहां कुछ लोग अपनी डाइट और लाइफस्टाइल को लेकर इस हद तक गलतियां कर बैठते हैं कि उन्हें शुगर की बीमारी हो जाती है, वहीं खराब लाइफस्टाइल के कारण जब डायबिटीज होती है तो इस तरह की शुगर को डायबिटीज टाइप-2 कहा जाता है।
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