आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने किया रिसाली, मल्लीनाथ दिगंबर जैन मंदिर में भव्य मंगल प्रवेश

भिलाई।  रिसाली के पाश्र्वनाथ धाम से संध्या  मल्लीनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रगति नगर रिसाली के प्रवेश पर सोमवार को हजारों भक्तों ने आचार्य  विशुद्ध सागर महाराज जी का ससंघ भव्य स्वागत किया। जिसमें श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति के अध्यक्ष दिनेश जैन, उपाध्यक्ष विजय जैन, मोहन भारतीय व अशोक गोयल, मुख्य संयोजक प्रशांत जैन, महामंत्री कमलेश जैन, सुनील जैन, राकेश जैन, ज्ञानचंद बाकलीवाल, शिखरचंद जैन, सुलभ जैन, मनोज जैन, विनय जैन, पुनीत जैन, रजनीश जैन, प्रदीप जैन, विमल जैन, संतोष जैन, डीके जैन, डीके जैन, प्रचार प्रसार प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल के साथ वर्तमान वर्धमान दिगंबर जैन पाठशाला, त्रिशिरा महिला मंडल रिसाली एवं दुर्ग-भिलाई, रायपुर, राजिम, एवं छत्तीसगढ़ के समस्थ दिगंबर जैन मंदिर के हजारों भक्तों के साथ रिसाली वासियों ने आचार्य  का वंदन अभिनंदन करते हुए जगह जगह पाद प्रच्छालन के साथ आरती उतारकर भव्य स्वागत किया।

आचार्य के स्वागत में छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य सुआ नृत्य, ढोल नंगाड़े, गाजे बाजे के साथ फूलों के फौव्वारे नुमा चमकीली पन्नियों से स्वागत किया। बालिकाओं ने अत्यंत उत्साह के साथ आचार्य  की आगवानी भक्तों के साथ की। आचार्य  का मंदिर में पाद प्रच्छालन भक्तों ने करते हुए आशीर्वाद ग्रहण किया। आचार्य ने मंदिर दर्शन के साथ मां जिनवानी के संग्रह को देखा। इस अवसर पर आज लोग आचार्य के प्रवेश पर खुशी झूम उठे।

 ध्वजारोहण, मंडप उद्घाटन, गर्भ कल्याणक महोत्सव

15 नवम्बर, मंगलवार को ध्वजारोहण, मंडप उद्घाटन, गर्भ कल्याणक महोत्सव होगा। इसके तहत प्रात: 6:30  जिन शान्त्यभिषेक, पूजनादि, श्रीजिन देवाज्ञा एवं शासन देवाहवान, तीर्थ मंडलाराधना घट यात्रा मंदिर जी से प्रतिष्ठा स्थल (दशहरा मैदान, रिसाली), प्रात: 8:30 ध्वजारोहण, गुर्वाज्ञालंभन विधि, प्रतिष्ठाचार्य आमंत्रण, स्थल शुद्धि, आचार्य का मंगल प्रवचन, शुभाशीषादि, शान्त्यभिषेक, पूजनादि, दोपहर 12:30 सकलीकरण, इन्द्र प्रतिष्ठा, नांदी विधान, मंडप प्रतिष्ठा, मंडलोद्वार,  यागपुंडल विधान, प्रतिष्ठेय बिम्बों का मंडपागमनादि, संध्या 6:30 जी की भक्तिमय महाआरती, शास्त्र सभा, गर्भ कल्याणक एवं आकर शुद्धि, गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएँ, महाराज नाभिराज का राज दरबार, महारानी मरूदेवी का आगमन, महाराज द्वारा 16 स्वप्नों का फलादेश, अष्ट कुमारियों द्वारा माता की सेवा, सीमांतनी क्रिया (गोद भराई) सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।