टाइटैनिक को डूबे 100 हो गए हैं। हालांकि उससे जड़े कई रहस्य अब तक सामने नहीं आए हैं। अब एक 26 साल पुराने रहस्य से पर्दा उठा है। गोताखोरों को टाइटैनिक के मलबे के पास ही एक इकोसिस्टम मिला है। पहले सोनार की मदद से इसका पता लगाया गया। लगभग 30 साल पहले एक जानेमाने टाइटनिक गोताखोर पीएच नारजियोलेट को जहाज के मलबे के पास किसी चीज के बारे में पता चला था। हालांकि स्पष्ट नहीं हो पाया था कि यह क्या चीज है।
वह इस बात को जानने की कोशिश करते रहे कि आखिर जो चीज उन्हें मिली है वह जहाज का ही कोई हिस्सा है या फिर कोई प्राकृतिक संरचना है। दो दशकों के अथक परिश्रम के बाद आखिर उन्हें पता चल ही गया कि वह चीज क्या है। 25 अक्टूबर को नारजियोलेट तैरकर वहां तक पहुंच गए। वहां एक ज्वालामुखी की चट्टान थी।
इस खोज में लगे संगठन ओसियनगेट एक्सपेडिशन्स ने उस इलाके का फुटेज भी जारी किया। वहां पर स्पॉन्ज, कोरल और समुद्री जीव थे। टाइटनिक के मलबे के पास ही पूरा इकोसिस्टम था। यहां बहुत सारे समुद्री जीव रहते हैं और ज्वालामुखी से बनी चट्टान भी लगभग 2900 मीटर की है। नारजियोलेट ने कहा कि उन्हें लगता नहीं था कि कभी इस चीज के बारे में जान पाएंगे। वह यही सोचते थे कि यह भी टाइटैनिक का ही कोई हिस्सा है।
उन्होंने कहा, सोनार से पता लगने का बाद से ही हम उस चीज के बारे में जानना चाहते थे। यह एक बहुत अच्छी खोज है। जहाज तो अब समुद्र की गहराई में है। कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से इसकी दूरी करीब 400 नॉटिकल माइल है। 15 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक डूबा था। ओसियनगेट के चीफ साइंटिस्ट ने कहा कि इस चट्टान के बारे में पता चलने के बाद समुद्री जीवन के बारे में खोज को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
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