ध्यान जीवन की कुंजी है:संत गुरुभुषण साहेब

धमतरी, 15 सितंबर।संत कबीर सेवा संस्थान देवपुर के तत्वाधान में संपन्न हो रहे 14 से 18 पांच दिवसीय आत्मानुभूति ध्यान योग शिविर के प्रथम दिवस लोगों ने ध्यान का अभ्यास किया। संत श्री ने कहा की ध्यान से जीवन के मूल को अनुभव किया जा सकता है। ध्यान जीवन की कुंजी (चाबी) है। ध्यान से आत्मा और मन के भेद को समझा जा सकता है शरीर और मन हमारा स्वरूप नहीं।

उन्होंने कहा कि हमारा स्वरूप आत्मा है जो हम हैं। हमारा स्वरूप ज्ञान रूप है। भूल से हम मन को, मन की वृत्ति को अपना स्वरूप मान लिए हैं और मन के भटकाव में भटकते रहते हैं। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है मन के आयाम को समझना और मन को स्थिर करना। इससे आत्मानुभूति किया जा सकता है लेकिन इसके लिए प्रथम आवश्यक है अपने जीवन के समस्त विकारों का परित्याग ।

जैसे जब दर्पण साफ होता है तो सब कुछ दिखाई देता है उसी तरह से मन एक दर्पण है। मन को पवित्र रखेंगे तो अपना स्वरूप साफ-साफ अनुभव में आएगा। अनुभव करने वाले आप हैं। आपका अपना स्वरूप ज्ञान स्वरूप है , जिसे हम ज्ञान से, ध्यान से और अभ्यास से अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। संत कबीर सेवा संस्थान देवपुर के तत्वाधान में आयोजित आत्मानुभूति शिविर में देवपुर के अलावा आसपास के गांव के संत कबीर अनुयायी पहुंच रहे हैं। संत कबीर सेवा संस्थान द्वारा आयोजित यह शिविर 18 सितंबर तक जारी रहेगा।

मन साफ पवित्र और स्थिर होता है तब होती है आत्मानुभूति

संस्थान के संरक्षक संत रविकर साहेब ने कहा की जब पानी साफ स्थिर होता है तब पानी की गहराई में क्या है वह दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार मन साफ पवित्र और स्थिर होता है तब आत्मानुभूति होती है। शांत मन से किया गया प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। शांति की प्राप्ति भी। सफल जीवन और किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए ध्यान परम आवश्यक है।

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