याचिका में बताया गया है कि नोएडा निवासी इस शख्स का एम्स में (फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन) इलाज चल रहा था। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण डोनर न मिलने के चलते इसे रोकना पड़ा।
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। बेंगलुरु की 49 साल की एक महिला ने अदालत से अपील की है कि नोएडा में रहने वाले उसके 48 वर्षीय दोस्त को यूरोप की यात्रा पर जाने से रोका जाए। महिला का दावा है कि उसका दोस्त लंबे समय से बीमार है और वह इच्छामृत्यु के लिए यूरोप जाना चाहता है, जिसकी भारत में इजाजत नहीं है।
अदालत में दायर याचिका के अनुसार वह व्यक्ति 2014 से क्रोनिक फेटिग सिंड्रोम से पीड़ित है और डॉक्टर की सहायता से आत्महत्या के लिए स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा है। याचिकाकर्ता महिला खुद को मरीज का करीबी दोस्त बताती है। उसका कहना है कि अगर उसके दोस्त को यूरोप जाने से नहीं रोका गया तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी। व्यक्ति के माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों को भारी क्षति और कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
कोरोना के चलते रोकना पड़ा इलाज
याचिका में बताया गया है कि नोएडा निवासी इस शख्स का एम्स में (फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन) इलाज चल रहा था। लेकिन कोरोना वायरस के कारण डोनर न मिलने के चलते इसे रोकना पड़ा। इस व्यक्ति में बीमारी के लक्षण 2014 में दिखने शुरू हुए, जो कि बीते 8 साल में और भी गंभीर हो गए। फिलहाल हालत यह है कि शख्स बेड पर ही पड़ा रहता है और बहुत कम चल-फिर पाता है।
’70 साल से अधिक है पेरेंट्स की उम्र’
याचिकाकर्ता का कहना है कि बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अपने पेरेंट्स का इकलौता लड़का है, जिनकी उम्र 70 साल की पार कर गई है। उसकी एक बहन भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका दाखिल करने वाली महिला लगातार उसके पेरेंट्स के संपर्क में रहती है और उसकी हालचाल लेती रहती है। महिला के पास वह मैसेज भी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति ने लिखा है, ‘बहुत हो गया, अब इच्छामृत्यु के ऑप्शन पर विचार कर रहा हूं।’
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