अगले 24, 48 और 72 घंटे के लिए ऑरेंज, यलो और रेड अलर्ट जारी, देखें जिलों में कैसी रहेगी स्थिति

छत्तीसगढ़ में आने वाले 72 घंटों में मूसलाधार बारिश की होने वाली है। मौसम विभाग ने इसके लिए प्रदेश में अलर्ट भी जारी कर दिया है। साथ ही चेतावनी के संबंध में रेलवे, जल संसाधन विभाग और राहत आयुक्त को पत्र लिखा गया है।छत्तीसगढ़ में अगले 24, 48 और 72 घंटे के लिए मौसम विभाग ने यलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं जल जमाव और आकाशिय बिजली भी गिरने की संभावना जताई गई है।

मौसम विभाग के द्वारा रेलवे, जल संसाधन विभाग और राहत आयुक्त को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि, प्रदेश के बीजापुर, सुकमा, धमतरी, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, गरियाबंद, दंतेवाड़ा समेत कई जिलों में गरज चमक के साथ भारी बारिश हो सकती है। इससे कई जगह जल भराव की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।

वहीं बिजली गिरने की भी संभावना है। सड़क और रेलवे परिवहन भी इस दौरान प्रभावित हो सकती है। इसके लिए मौसम विभाग ने अलर्ट और सभी राहत विभागों को तैयार रहने कहा है। साथ ही लोगों को भी सावधान रहने और घरों से बाहर नहीं जाने कहा गया है।

मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों में बीजापुर जिले में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने यहां ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं बस्तर, दंतेवाड़ा बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, धमतरी और गरियाबंद जिलों में भी आकाशिय बिजली के साथ भारी बारिश की चेतावनी है। इन जिलों में मौसम विभाग यलो अलर्ट जारी किया है।

अगले 48 घंटों में तेज बारिश

मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे के दौरान बीजापुर में रेड अलर्ट जारी करते हुए अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। वहीं बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोंडागांव और नारायणपुर में ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए तेज बारिश की चेतावनी दी है।

72 घंटों के लिए ऐसी स्थिति

छत्तीसगढ़ के बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव, कांकेर और नारायणपुर जिलों में रेड अलर्ट की चेतावनी है। यहां कई इलाकों में भारी बारिश के साथ ही सिमांत वर्षा होने की संभावना है।

क्या प्रभाव पड़ेगा?

मौसम विभाग ने बारिश के लिए चेतावनी से संबंधित रेलवे, राहत आयुक्त और जल संसाधन विभाग को पत्र लिखा है। इसमें बारिश की वजह से पड़ने वाले प्रभाव को भी बताया गया है। इन 72 घंटों में होने वाली बारिश से कई जगह जल भराव की समस्या, नदी-नालों का जलस्तर बढ़ना, फसल का नुकसान होना, सड़क और रेल परिवहन प्रभावित होना जैसे प्रभाव की संभावना जताई गई है।

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