पिछले एक साल में अडानी ने 17 अरब डॉलर में 34 कंपनियों पर किया कब्जा

Gautam Adani Vs Mukesh Ambani: भारतीय टाइकून मुकेश अंबानी  और गौतम अडानी में रईसी की जबरदस्त रेस लगी है। इस वक्त सभी की निगाहें गौतम अडानी पर टिकी हैं। दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति अडानी ने इस साल अपनी संपत्ति में करीब 30 अरब डॉलर का इजाफा किया है, जो किसी भी अन्य अरबपति से ज्यादा है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, गौतम अडानी के पास कुल संपत्ति 104 अरब डॉलर की है जो कि टेस्ला इंक के फाउंडर एलन मस्क से लगभग आधी है, लेकिन अंबानी की तुलना में 10 अरब डॉलर अधिक है। बता दें कि एलन मस्क की कुल संपत्ति 204 अरब डॉलर है और मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 95.2 अरब डॉलर है। 

रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर अडानी-अंबानी आमने-सामने


अंबानी और अडानी दोनों ही रिन्यूएबल एनर्जी में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि रिन्यूएबल एनर्जी में भारत के भविष्य की पटकथा के लिए बाजार उन्हें पुरस्कृत करें। हालांकि, निवेशक अडानी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 65 साल के मुकेश अंबानी की संपत्ति में साल 2020 कोविड-19 महामारी की मुश्किलों के दौरान 27 बिलियन डाॅलर की बढ़ोतरी हुई थी। कोरोना के दौरान फेसबुक (जिसे अब मेटा इंक के रूप में जाना जाता है) के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने अपने डिजिटल व्यवसाय के लिए अंबानी से संपर्क किया और फिर सिल्वर लेक पार्टनर्स, केकेआर एंड कंपनी इंक और अन्य से अपनी रिटेल चेन ने अंबानी के साथ डील की। अब ऐसा लग रहा है कि निवेशकों का यह जोश अडानी में ट्रांसफर हो गया है। हाल ही में गौतम अडानी ने दुनिया की दिग्गज सीमेंट कंपनी होल्सिम लिमिटेड के साथ एक बड़ी डील की और 10.5 बिलियन डॉलर में इसका भारतीय कारोबार को खरीद लिया। बता दें कि अगले महीने गौतम अडानी अपना अपना 60 वां जन्मदिन मनाएंगे। 

पिछले एक साल में अडानी ने 17 अरब डॉलर खर्च किया


ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, पिछले एक साल में गौतम अडानी ने 32 कंपनियों का अधिग्रहण किया है। इसके लिए अडानी ने 17 अरब डॉलर खर्च किए हैं। यह सिलसिला अभी खत्म होने वाला नहीं है क्योंकि इस मामले में अडानी बेहद एग्रेसिव नजर आ रहे हैं।  

अंबानी का क्रेज खत्म तो नहीं हो रहा?


भारत के टेलीकाॅम मार्केट में प्रतिस्पर्धा कम होने के कारण अंबानी द्वारा बेचा जाने वाला डेटा महंगा हो गया है। भारत में उनके द्वारा उत्पादित प्राकृतिक गैस की राज्य-अनिवार्य मूल्य सीमा में 62% की वृद्धि देखी गई है। दुनिया के सबसे बड़े जामनगर में उनके रिफाइनरी परिसर में ईंधन की कमी से मार्जिन बढ़ रहा है। फिच रेटिंग्स का कहना है कि यह सब इस वित्तीय वर्ष में रिलायंस के नेट-डेबिट-से-एबिटा 0.7 पर रह सकता है, जो भारत के सरकारी डेबिट से एक पायदान अधिक है। अंबानी की बैलेंस शीट इक्विटी बाजार में कुछ खास आग नहीं लगा रही है। रिलायंस स्टॉक, जिसने 2020 में 12 महीने की कमाई को 29 गुना आगे बढ़ाया, अब 21 के गुणक पर उपलब्ध है। अडानी एंटरप्राइजेज में शेयर अब 124 के पीई अनुपात पर कारोबार कर रहा है।

अडानी और मोदी का रिश्ता बेहद पुराना 


अडानी और नरेन्द्र मोदी का रिश्ता दो दशक पुराना है जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। साल 2002 के हिंदू-मुस्लिम दंगों के बाद मोदी को सबसे पहले गुजराती कारोबारी अडानी का समर्थन मिला था। अडानी ने कुछ साल पहले ही भारत के पश्चिमी तट पर मुंद्रा बंदरगाह स्थापित किया था। अब वह भारत की बंदरगाह क्षमता का 24% कंट्रोल है और अब हवाई अड्डों पर भी ऐसा ही कंट्रोल होने वाला है। शेयर बाजार इस बात की प्रशंसा करता है कि कैसे अडानी ने अर्थव्यवस्था के अन्य हिस्सों में परिवहन बुनियादी ढांचे पर अपनी पकड़ बढ़ा दी है। अडानी कोल माइनिंग, बिजली उत्पादन और वितरण, सिटी गैस, खाद्य तेल शोधन, फसलों से लेकर डेटा और अब सीमेंट सभी सेक्टर में अपना दबदबा बना रहे हैं। 


जहां एक तरफ अंबानी कंज्यूमर पर फोकस कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अडानी ज्यादातर बुनियादी इंफ्रा पर टिके हुए हैं। जैसा कि हम जानते हैं स्विस फर्म अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और एसीसी लिमिटेड के भारतीय कारोबार पर कंट्रोल करने के लिए कई भारतीय अरबपति अधिक भुगतान करने को तैयार थे। लेकिन अडानी ने सबसे बड़ी बोली लगाकर इसे अपने नाम कर लिया। हालांकि, गौतम अडानी और अंबानी की संपत्ति में ज्यादा फर्क नहीं है।