5Gi Technology: पीएम मोदी ने दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के रजत जयंती समारोह को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने 5Gi टेक्नोलॉजी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 5Gi के रूप में देश का अपना 5G स्टैंडर्ड बनाया है, जो कि गर्व की बात है। पीएम मोदी की मानें, तो 5Gi टेक्नोलॉजी भारत के गांवों तक 5G पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर 5Gi टेक्नोलॉजी है क्या?
क्या है 5Gi टेक्नोलॉजी
5Gi का मतलब है 5G India. यह 5G का इंडियन स्टैंडर्ड है, जो कि पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जिसे आईआईटी हैदराबाद और मद्रास (चेन्नई) ने मिलकर बनाया है। इस नेटवर्क स्टैंडर्ड को पहले से ही इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन यूनिट (ITU) से मंजूरी मिल गई है। 5Gi टेक्नोलॉजी 5G से कम है। दरअसल 5G टेक्नोलॉजी ज्यादा फ्रिक्वेंसी बैंड पर काम करती है। जिसकी स्पीड ज्याद होती है। लेकिन 5Gi टेक्नोलॉजी कम फ्रिक्वेंसी बैंड पर काम करती है, जिसका कवरेज ज्यादा होता है, जबकि स्पीड कम होती है। ऐसे में वाजिब है कि ज्यादा कवरेज ग्रामीण इलाकों में 5G नेटवर्क उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। साथ ही 5Gi टेक्नोलॉजी में कम खर्च आएगा।
5Gi से क्या फायदा होगा?
एक्सपर्ट की मानें, तो भारत में 5Gi नेटवर्क के लिए उपयोगी साबित होगी, क्योंकि इसकी कॉस्टिंग कम होगी, जिससे ग्रामीण भारत में बेहतर कवरेज मिलेगी।
क्या होगी चुनौती
दरअसल मौजूदा दौर में ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से 5G टेस्टिंग हो रही है। साधारण तौर पर कहें, तो आमतौर पर सभी टेलिकॉम कंपनियां 5G के लिए ग्लोबल फ्रिक्वेंसी पर काम कर रही हैं। ऐसे में 5Gi टेक्नोलॉजी के लिए टेलिकॉम और स्मार्टफोन कंपनियों को दोबारा से निवेश करना होगा। साथ ही 5G टेस्टिंग जैसे दूसरे काम करने होंगे, जिससे ना सिर्फ 5G नेटवर्क को रोलआउट होने में देर होगी। साथ ही अतिरिक्त खर्च करना होगा।
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