लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद चुनाव में विजय पताका फहरा चुकी भाजपा के सामने अब 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती हैं। सरकार और संगठन के डबल इंजन में से सरकार का इंजन तो लक्ष्य की ओर फर्राटा भरने लगा है, लेकिन संगठन वाले इंजन की ‘ओवरहालिंग’ अभी बाकी है। चूंकि, अब नए सिरे से जातीय समीकरण भी साधने हैं, इसलिए अभी यह भी मंथन चल रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष किस जाति-वर्ग से बनाया जाए। साथ ही प्रदेश की टीम में कई नए पदाधिकारी भी उसी के अनुरूप बनाए जाने हैं।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव प्रदेश अध्यक्ष के रूप में स्वतंत्रदेव सिंह के नेतृत्व में लड़ा। सफलता मिली और उसके इनाम स्वरूप स्वतंत्रदेव को योगी सरकार में जल शक्ति मंत्री बना दिया गया है। चूंकि पार्टी में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत है, इसलिए सरकार गठन के बाद से ही इसकी अटकलें शुरू हो गईं कि नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा।
पिछले दो लोकसभा चुनावों में इस पद पर ब्राह्मण नेता को बैठाया गया, इसलिए कई लोगों का तर्क है कि इस बार भी पुराना सफल फार्मूला अपनाते हुए ब्राह्मण को ही संगठन की कमान सौंपी जाएगी तो कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बसपा के दलित वोटबैंक में गहरी सेंध लगाई है। उसका असर चुनाव परिणाम पर दिखा है, इसलिए इस वोटबैंक को साधे रखने के लिए दलित को संगठन का मुखिया बनाया जा सकता है।
हालांकि, प्रयोग और अप्रत्याशित निर्णय पार्टी करती रहती है, इसलिए संगठन के सक्रिय पदाधिकारी भी टोह नहीं ले पा रहे कि अंतत: निर्णय क्या होने जा रहा है। सभी जाति-वर्गों से कई-कई संभावित नाम चर्चा में कई दिन से चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि अभी हाईकमान भी इस मंथन में जुटा है कि प्रदेश अध्यक्ष किस जाति से बनाया जाए। इधर, सरकार अपने काम में जुट गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी मंत्रियों और अधिकारियों को लक्ष्य सौंप चुके हैं कि पांच वर्ष के लिए जारी किए गए लोक कल्याण संकल्प पत्र के अधिकांश संकल्प 2024 तक पूरे कर लेने हैं। अब बारी है कि सरकार के साथ समन्वय के लिए संगठन को सक्रिय किया जाए। उम्मीद जताई जा रही है कि अब जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष पर निर्णय हो जाएगा। इसके साथ ही एके शर्मा और दयाशंकर सिंह के मंत्री बनने से प्रदेश उपाध्यक्ष के दो पद खाली हो गए हैं।
प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर भी मंत्री बना दिए गए हैं। तमाम आयोग और बोर्ड में पद खाली हैं। ऐसे में चुनाव में बेहतर काम करने वाले तमाम कार्यकर्ता आयोग और बोर्ड में समायोजित करने के साथ ही वरिष्ठों में संगठन में जिम्मेदारियां दी जानी हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ यह संगठन की नई टीम होगी, जो मिशन 2024 के लिए खास तौर पर काम करेगी।
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