Railway Board Orders : ट्रेन मैनेजर बनाते ही रेलवे ने बढ़ा दिया काम, नई जिम्मेदारी से व्यस्तता बढ़ी, कर्मचारियों को नहीं मिल रहा भत्ता

रायपुर। रेलवे गार्ड को लंबे संघर्ष के बाद पुराने नौकरशाही पदनाम से छुटकारा तो मिला लेकिन कंधों पर काम का बोझ भी बढ़ गया। रेलवे बोर्ड ने मांग अनुसार रेलवे गार्ड का नाम बदलकर सम्मानित पदनाम ट्रेन मैनेजर किया दिया, लेकिन इसके साथ ही कर्मचारियों पर नई जिम्मेदारी भी सौंप दी। अब ट्रेन मैनेजर पहले के तुलना अधिक कार्य करने लगे हैं। इसके बदले उन्हे अतिरिक्त पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। एक ट्रेन मैनेजर ने बताया, रेलवे बोर्ड ने आदेश निकालते हुए नियम में बदलाव संशोधित किया है।

उन्होंने बताया, पहले जो जिम्मेदारी आरपीएफ और जीआरपी संभालती थी, अब उसे रेलवे के गार्ड, चालक और सहायक चालक संभालेंगे। ट्रेन को ग्रीन सिग्नल देने से पहले अब उन्हें यह भी देखना होगा कि ट्रेन की छत पर कोई चढ़ा तो नहीं। अगर ट्रेन की छत पर किसी को चढ़ा पाया तो आरपीएफ और जीआरपी को इसकी जानकारी देनी होगी। नीचे उतारने के बाद ही ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। ट्रेन की छत पर चढ़ने से कई बार बढ़े हादसे हो चुके है।

नई जिम्मेदारी से खुश नहीं

रेलवे ने पदनाम में बदलाव कर यूनियन के कर्मचारी खुश है, लेकिन बेवजह नई जिम्मेदारी दिए जाने आक्रोश है। उनका कहना है, काम बढ़ाने से कर्मचारी को कोई फायदा नहीं हो रहा है। पहले से अधिक काम को बोझ महसूस करने लगे है। समय के साथ आर्थिक नुकसान होने लगा है। आदेशानुसार अब लोको पायलट ट्रेन स्टार्ट करने और प्रस्थान अधिकार के बिना स्टेशन से ट्रेन नहीं ले जाएंगे। ट्रेन के प्रस्थान से पहले उन्हें इस बात का समाधान करना होगा कि सभी सिग्नल और जहां आवश्यक है वहां हैंड सिग्नल दे दिए गए हैं। सामने या लाइन पर कोई प्रत्यक्ष अवरोध नहीं है और गार्ड ने प्रस्थान के लिए सिग्नल दे दिया है। गार्ड को भी यह देखना होगा कि ग्रीन सिग्नल देने से पहले ट्रेन के आगे सब कुछ ठीक है या नहीं। गार्ड ट्रेन के प्रस्थान के लिए तब तक सिग्नल नहीं देंगे जब तक देख नहीं लेंगे कि कोई यात्री किसी ऐसे डिब्बे में चढ़ तो नहीं गया, जो नियम विरुद्ध है।

काम के नियम में बदलाव से कागजी काम कर्मचारियों का भी बढ़ गया है। ट्रेन मैनेजर का नाम मिलते ही रेलवे ने काम को अपग्रेड कर दिया है। अब कर्मचारी के पास नई जिम्मेदारी है, लेकिन इससे बड़ी संख्या में रेलवे के गार्ड चालक और सहायक चालक खुश नहीं है। उनका कहना है, हमारी मांग केवल पदनाम में बदलाव था, लेकिन रेलवे कंधों पर नया काम डाल दिया। अब काम की व्यस्तता पहले की तुलना बढ़ गई है।

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