छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का आदेश : बहू को दी जाए अनुकंपा नियुक्ति…

बिलासपुर, 22अप्रैल (वेदांत समचार)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि ससुर को परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता। ससुर के शासकीय सेवा में होने को आधार मानकर बहू को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच ने शासन के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पत्र को अयोग्य करार दिया गया था। हाईकोर्ट का यह आदेश ऐसे प्रकरणों के लिए नजीर बनेगा।

याचिकाकर्ता राजकुमारी सिवारे के पति डोगेंद्र कुमार सिवारे सहायक शिक्षक (एलबी) के पद पर बेमेतरा जिले के प्राथमिक शाला कोदवा में पदस्थ थे। सेवा में रहते हुए 18 नवंबर 2021 को उनकी मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद 3 मार्च 2022 को उसकी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति पाने आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। विभाग ने 7 मार्च 2022 को यह कहते हुए आवेदन पत्र को खारिज कर दिया कि दिवंगत शिक्षक के पिता एवं याचिकाकर्ता के ससुर शासकीय सेवा में है। शासन के नियमानुसार परिवार का कोई किसी सदस्य शासकीय सेवा में है, तो उसे अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता।

अनुकंपा नियुक्ति से बहू की वंचित नहीं कर सकते
याचिकाकर्ता ने अपने अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को निरस्त करने के आदेश को वकील अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका में तर्क दिया गया है कि अनुकंपा नियुक्ति में अविवाहित दिवंगत शासकीय सेवक के मामले में माता-पिता को आश्रित माना गया है, जबकि दिवंगत विवाहित शासकीय सेवक के मामले में पिता को आश्रित नहीं माना गया है। आश्रित परिवार के रूप में दिवंगत की पत्नी, बच्चे, दत्तक पुत्र या पुत्री को माना गया है। अत: ससुर के शासकीय सेवा में होने से अनुकंपा नियुक्ति से याचिकाकर्ता बहू को वंचित नहीं किया जा सकता।

दिवंगत की पत्नी पर भरण-पोषण की जिम्मेदारी
जस्टिस पी सैम कोशी ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सही ठहराया है। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता दिवंगत शिक्षक की पत्नी है। उस पर अपने परिवार यानी अपने बेटे-बेटियों के भरण-पोषण का दायित्व है। कोर्ट ने माना कि ससुर के शासकीय सेवा में होने को आधार मानकर दिवंगत शिक्षक की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन के अनुकंपा नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को खारिज कर दिया और यह भी आदेश दिया कि अर्हता पूरी करने पर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति दिया जाए।