कोरबा,18 अप्रैल( वेदांत समाचार )। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा खैरागढ़ को जिला बनाने के कटघोरा को जिला बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। कटघोरा को जिला बनाया जाना ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए उपयोगी होगा लेकिन यदि दर्री और कुसमुंडा के शहरी क्षेत्र को कटघोरा में शामिल किया गया तो यहां के निवासियों के लिए नुकसानदेह होगा।
दर्री, एनटीपीसी, जैलगांव और कुसमुंडा कालोनी कोरबा जिला मुख्यालय से जुड़े हुए हैं। यहां के लोगों के लिए जिला मुख्यालय पहुंचना सुविधाजनक और आसान है यदि इन क्षेत्रों को भौगोलिक विभाजन के आधार पर कटघोरा जिला में शामिल करना पड़ा तो इन क्षेत्रों के निवासियों के लिए अन्याय होगा। दर्री तहसील बनने के बाद भी कुसमुंडा और दर्री के लोगों को इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि दर्री तहसील को कोरबा की अपेक्षा 20 किमी दूर कटघोरा अनुभाग के अधीन रखा गया है। स्थानीय लोगो के साथ शासकीय अधिकारी और कर्मचारी भी कोरबा में रहकर कटघोरा ब्लॉक मुख्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
कटघोरा जिला बनाना वहां के निवासियों के हक में है लेकिन कुसमुंडा और दर्री शहरी क्षेत्रों को यदि कटघोरा में शामिल किया गया तो क्षेत्र की जनता इसका विरोध करेगी। कटघोरा जिला में शामिल करने पर इन क्षेत्रों के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा साथ ही जिला मुख्यालय अभी की तुलना में दुगनी दूरी पर स्थापित होगा जो कुसमुंडा और दर्री के लोगों को मंजूर नहीं है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल मांग करते हैं कि दर्री तहसील को कोरबा अनुभाग में शामिल किया जाए, जिससे दर्री तहसील में शामिल क्षेत्र के लोगों को वास्तविक रूप से इसका लाभ मिल सकें।
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