कोरबा,04 अप्रैल (वेदांत समाचार)। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि कोरबा मैं औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ-साथ एक मिनी भारत भी निवासरत हैlकोरबा के विकास के लिए आने वाले समय में कोई भी दीर्घकालीन योजनाएं नहीं बनाई जा रही है, जिसके चलते आने वाले समय में कोरबा का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है, इसके पीछे कोरबा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के सकारात्मक भूमिका निष्क्रिय होने के चलते, विकास तथा शिक्षा के क्षेत्र में लगातार कोरबा पिछड़ते जा रहा हैl
सिन्हा ने आगे बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कोरबा में मेडिकल कॉलेज की सौगात दी है लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए मापदंडों व औपचारिकताएं पूरी नहीं होने के कारण मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्यता नहीं दी गई है जिसके चलते कालेज का भविष्य अधर में दिखाई दे रहा है lकोरबा के सांसद , विधायक , मंत्री, महापौर द्वारा नए मेडिकल कॉलेज के लिए 100 एकड़ भूमि एवं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित मापदंडों को जल्द से जल्द पूरा करने के बाद ही मान्यता मिल सकती है, लेकिन इधर देखा जा रहा है कि जनप्रतिनिधि नए मेडिकल कॉलेज खोलने में आ रही अड़चनों को बिना दूर किए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मान्यता की गुहार लगा रहे हैं . इससे यही साबित हो रही है कि हर विकास कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बार-बार केंद्र पर दोषारोपण कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं.
जैसा कि माननीय सांसद महोदया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए ज्ञापन सौंपा है . जबकि राज्य सरकार स्थानीय सांसद मंत्री विधायक ,महापौर को चाहिए था कि पहले नए मेडिकल कॉलेज के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा की गई आपत्तियों को जल्द से जल्द दूर करने के बाद ही अन्य जगह दौड़ लगानी चाहिए थी ,कोरबा में विकास के लिए भूमि की आवश्यकता होती है लेकिन अधिकतर भूमि बेची जा रही है, फिर विकास की कल्पना करना कोरबा की जनता को भ्रमित करना है क्योंकि बिना भूमि उपलब्ध कराएं कोई भी विकास कार्य संभव नहीं हैl
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