रुस यूक्रेन तनाव से बियर कंपनियों पर दबाव, जौ की सप्लाई घटने का कीमतों पर दिखेगा असर

रूस यूक्रेन तनाव (Ukraine Russia crisis) के बढ़ने के साथ इसका असर अलग अलग सेक्टर पर दिखने लगा है. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और स्टॉक मार्केट में गिरावट देखने को मिल ही रही है. साथ ही खाद्यान्न की कीमतों में भी तेजी दर्ज हो रही है. इसके साथ ही इनसे जुड़े सेक्टर में भी आने वाले समय मे दबाव की आशंका बन गई है. इसमे से एक बियर और एल्कोहल सेक्टर भी है. ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल ने आशंका जताई है कि रूस यू्क्रेन तनाव से बियर कंपनियों (beer companies) के मार्जिन पर असर देखने को मिल सकता है. तनाव की वजह से बियर तैयार करने में सबसे अहम जौ (barley) की सप्लाई पर असर देखने को मिल सकती है. और कीमतों में बढ़त से ठीक गर्मी के सीजन में बियर की लागत में बढ़ोतरी से लिकर कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

जौ की कीमतों में तेजी जारी

जौ की कीमतों में पिछले कई महीनों से तेजी देखने को मिल रही है. एक साल के दौरान कीमतों में 62 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त दर्ज हो चुकी है. वहीं पिछली तिमाही के मुकाबले कीमतें 5 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जौ उत्पादक देश है. वहीं यूक्रेन चौथा सबसे बड़ा जौ उत्पादक देश है, संघर्ष की स्थिति में जौ की सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका बन चुकी है.जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जौ की कीमतों में आगे और तेजी देखने को मिलेगी.

क्या होगा लिकर कंपनियों पर असर

जौ का बियर निर्माण की लागत में एक तिहाई हिस्सा होता है. वैसे तो भारत में भी जौ का उत्पादन होता है. लेकिन मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में कीमतें बढ़ने से भारत में भी कीमतों पर असर देखने को मिलेगा. और कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़त दर्ज हो सकती है, मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां जैसे United Breweries की लागत बढ़ सकती है और मार्जिन घट सकते हैं. कंपनी का देश के बियर मार्केट के 40 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है. रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष उस वक्त देखने को मिल रहा है जब कंपनियों अपने सीजन की तैयारी कर रही होती हैं. देश में बियर की मांग सबसे ज्यादा गर्मी के सीजन में रहती है. ऐसे में कच्चे माल की लागत बढ़ने से कंपनियों पर दबाव भी काफी बढ़ सकता है.