पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों और कारपोरेट जगत को एक साथ दिए कमाई के टिप्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों (Farmers) को खेती से कमाई बढ़ाने और कारपोरेट वर्ल्ड को कृषि क्षेत्र में कारोबार के अवसर तलाशने के लिए एक साथ टिप्स दिए. स्मार्ट एग्रीकल्चर पर कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम ने किसानों से खेती की जमीन की उर्वरता बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमें किसानों में ये जागरूकता बढ़ानी होगी, उनका सहज स्वभाव बनाना होगा कि वो हर एक-दो साल में अपने खेत की मिट्टी का टेस्ट (Soil Testing) कराएं. उसके मुताबिक उसमें कौन सी दवाइयों और फर्टिलाइजर की जरूरत है…उसे लेकर एक साइंटिफिक ज्ञान मिलेगा. हमारे युवा वैज्ञानिकों ने नैनो फर्टिलाइजर डेवलप किया है. यह कृषि क्षेत्र में गेम चेंजर है. इसमें भी काम करने के लिए हमारे कॉरपोरेट वर्ल्ड के पास बहुत संभावनाएं हैं.

पीएम ने कहा कि हमारी सरकार का बहुत ज्यादा जोर स्वायल हेल्थ कार्ड पर रहा है. देश के करोड़ों किसानों को सरकार ने यह कार्ड दिए हैं. एक जमाने में न पैथोलॉजी लैब होती थी, न लोग टेस्‍ट करवाते थे, लेकिन अब कोई भी बीमारी आई तो सबसे पहले पैथोलॉजी चैकअप होता है. हमारे स्‍टार्टअप्‍स, हमारे निजी निवेशक स्‍थान-स्‍थान प्राइवेट पैथोलॉजी लैब्‍स की तर्ज पर स्वायल टेस्टिंग लैब खोल सकते हैं. कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे.

आगे आएं स्‍टार्टअप

प्रधानमंत्री ने कहा कि जमीन के सैंपल को भी पैथोलॉजिकल टेस्‍ट कर-करके किसानों को गाइड कर सकते हैं. स्वायल हेल्‍थ की जांच लगातार होती रहे, हमारे किसानों को अगर हम इसकी आदत डालेंगे तो छोटे-छोटे किसान भी हर साल एक बार ऐसा जरूर करेंगे. इस प्रकार मिट्टी की जांच करने वाली लैब का एक पूरा नेटवर्क खड़ा हो सकता है. नए इक्यूपमेंट बन सकते हैं. मैं समझता हूं कि यह एक बहुत बड़ा क्षेत्र है. इसके लिए स्‍टार्टअप्‍स को आगे आना चाहिए.

प्राकृतिक खेती को प्रमोट करें केवीके और विश्वविद्यालय

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दुनिया में हेल्थ अवेयरनेस बढ़ रही है. इनवायमेंट फ्रेंडली लाइफ स्टाइल के प्रति जागरूता बढ़ रही है. ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसका मतलब ये है कि इसका मार्केट भी बढ़ रहा है. हम इससे जुड़ी जो चीजें हैं, जैसे नैचुरल फार्मिंग है, ऑर्गैनिक फार्मिंग है, इसकी मदद से इसके मार्केट को कैप्चर करने की कोशिश कर सकते हैं.

नेचुरल फार्मिंग के फायदे जन-जन तक पहुंचाने में हमारे कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज को पूरी ताकत से जुटना होगा. हमारे कृषि विज्ञान केंद्र एक-एक गांव गोद ले सकते हैं. हमारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी 100 या 500 किसानों को अगले एक साल में नेचुरल खेती की तरफ लाने का लक्ष्य रख सकती हैं.

कारपोरेट जगत के लिए संदेश

  1. माइक्रो इरीगेशन भी इनपुट कॉस्ट कम करने और ज्यादा प्रोडक्शन का बहुत बड़ा माध्यम है. एक प्रकार से एनवायरमेंट की भी सेवा है. पानी बचाना, ये भी आज मानव जाति के लिए बहुत बड़ा काम है. प्रति बूंद अधिक फसल पर सरकार का बहुत जोर है और ये समय की मांग भी है. इसमें भी व्यापार जगत के लिए बहुत संभावनाएं हैं. इस क्षेत्र में आप आइए.
  2. प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले 3-4 साल में हमने खाद्य तेलों के उत्पादन को अभी के स्तर से लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का जो लक्ष्य रखा है, उसको हमें समय पर हासिल करना है. तिलहन के क्षेत्र में काम करने की बड़ी संभावना है.
  3. क्रॉप पैटर्न के लिए, क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए भी हमारे एग्री-इंवेस्टर्स को आगे आना चाहिए. जैसे भारत में किस तरह की मशीनें चाहिए, इस बारे में इंपोटर्स को पता होता है. वो जानते हैं कि किस तरह की चीजें चलेंगी. उसी तरह से हमारे यहां फसलों की जानकारी होनी चाहिए. जैसे अभी तिलहन और दलहन का ही उदाहरण लें. देश में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है. ऐसे में हमारे कॉरपोरेट वर्ल्ड को इसमें आगे आना चाहिए. ये आपके लिए एक एश्योर्ड मार्केट है.
  4. पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी कृषि उत्पाद विदेश से लाने की क्‍या जरूरत है, आप किसानों से पहले से कह सकते हैं कि हम इतनी फसल आपसे लेंगे. अब तो इंश्‍योरेंस की व्‍यवस्‍था है तो इंश्‍योरेंस के कारण सुरक्षा तो मिल ही रही है. भारत की फूड रिक्वायर्मेंट की स्टडी हो, और जिन चीजों की आवश्यकता है, उसे भारत में ही उत्पादन करने की दिशा में हम सबको मिल करे काम करना चाहिए.
  5. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े ट्रेड को बिल्कुल बदलने वाला है. किसान ड्रोन्स का देश की खेती में अधिक से अधिक उपयोग, इसी बदलाव का हिस्सा है. ड्रोन टेक्नॉलॉजी, एक स्केल पर तभी उपलब्ध हो पाएगी, जब हम एग्री स्टार्टअप्स को प्रमोट करेंगे. पिछले 3-4 वर्षों में देश में 700 से ज्यादा एग्री स्टार्टअप्स तैयार हुए हैं.
  6. एग्रीकल्चर में इनोवेशन और पैकेजिंग, दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है. आज दुनिया में कंज्यूमरिज्म बढ़ रहा है, तो पैकेजिंग और ब्रैंडिंग इसका बहुत महत्व है. फलों की पैकेजिंग में हमारे कॉरपोरेट हाउसेस को, एग्री स्टार्ट-अप्स को बड़ी संख्या में आगे आना चाहिए. इसमें भी जो एग्री वेस्ट (Agri Waste) होता है, उससे बेस्ट पैकेजिंग कैसे की जा सकती है, उस ओर उन्हें ध्यान देना चाहिए. वो इसमें किसानों की मदद करें और इस दिशा में अपनी योजनाएं बनाएं.
  7. भारत में फूड प्रोसेसिंग (Food Processing) और इथेनॉल में निवेश की बहुत संभावनाएं बन रही हैं. सरकार, इथेनॉल की 20 परसेंट ब्लेंडिंग का लक्ष्य लेकर चल रही है. यह भी एश्‍योर मार्केट है. 2014 से पहले जहां 1-2 परसेंट इथेनॉल ब्लेडिंग होती थी, वहीं अब ये 8 परसेंट के आस-पास पहुंच चुकी है. इथेनॉल ब्लेंडिंग को बढ़ाने के लिए सरकार काफी इंसेटिव दे रही है. इस क्षेत्र में भी हमारा व्यापारी जगत आगे आए, हमारे बिजनेस हाउसेस आगे आएं.
  8. एक विषय नैचुरल जूस का भी है. इसकी पैकेजिंग का बहुत महत्व है. ऐसी पैकेजिंग जिससे उस प्रॉडक्ट की आयु लंबी हो, वो ज्यादा से ज्यादा दिनों तक चले, इस ओर भी काम किए जाने की आवश्यकता है. क्‍योंकि हमारे यहां इतनी विविधिता वाले फल होते हैं. हमारे यहां फलों के रस के बहुत सारे ऑप्‍शन मौजूद हैं. बहुत सारी वैरायटीज हैं. हमें बाहर की नकल करने के बजाय भारत में जो नैचुरल जूस हैं, उन्हें प्रमोट करना चाहिए, पॉपुलर करना चाहिए.