नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने सोमवार को ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एमेजॉन (Amazon) की याचिका पर सुनवाई 25 फरवरी तक टाल दी है. ई-कॉमर्स क्षेत्र की कंपनी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा पारित आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया है. सीसीआई ने एमेजॉन के फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लि. (FCPL) के साथ करीब दो साल पुराने सौदे की मंजूरी को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही एमेजॉन पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. एनसीएलएटी की पीठ ने कहा कि इस मामले की सोमवार को सुनवाई संभव नहीं है क्योंकि पीठ के एक सदस्य अपना कार्यकाल पूरा करने के पश्चात 4 दिन बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
पीठ ने कहा कि इस मामले में आदेश पारित करने से पहले अन्य पक्षों मसलन सीसीआई को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा. इसमें कुछ समय लगेगा और सेवानिवृत्त होने वाले सदस्य तब पीठ का हिस्सा नहीं होंगे. ऐसे में एनसीएलएटी ने इस मामले की सुनवाई को टालते हुए एमेजॉन की याचिका को 25 फरवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान एमेजॉन की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने सीसीआई के आदेश पर स्थगन का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सीसीआई के आदेश के क्रियान्वयन के लिए 60 दिन का समय इसी सप्ताह पूरा होने जा रहा है. इस पर पीठ ने कहा कि इस बारे में मूल आदेश 16 दिसंबर को पारित हुआ था और वह इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह कर सकती है.
कैसे शुरू हुआ था विवाद?
बता दें कि अगस्त 2019 में एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर इकाई फ्यूचर कूपन में करीब 1,500 करोड़ रुपये में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. एमेजॉन ने फ्यूचर के साथ यह भी करार किया था कि वह 3 से लेकर 10 साल के बीच सूचना डिटेल्स को भी खरीद सकती है. फ्यूचर कूपंस के पास फ्यूचर समूह की बीएसई में सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर रिटेल की 7.3 फीसदी हिस्सेदारी है.
एक साल बाद, अगस्त 2020 में, फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के साथ 3.4 अरब डॉलर एसेट-सेल डील कर लिया. 29 अगस्त 2020 को फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस के साथ अपने करार की घोषणा रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ उसका यह करार 24,713 करोड़ रुपये का है. इसी के बाद से ये विवाद शुरू हुआ.
एमेजॉन ने सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में फ्यूचर-रिलायंस सौदे को लेकर अपनी आपत्तियां रखी हैं. इस सुनवाई को निरस्त करने की मांग फ्यूचर समूह ने की थी. एमेजॉन इस मामले को अक्टूबर, 2020 में सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में लेकर आई थी. एमेजॉन का कहना है कि एफआरएल ने रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस रिटेल के साथ 24,500 करोड़ रुपये का बिक्री करार कर 2019 में उसके साथ हुए निवेश समझौते का उल्लंघन किया है.
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