‘बधाई हो’ की तरह नई सोच लाई ‘बधाई दो’, जानिए कैसी है राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर की फिल्म

फ़िल्म – बधाई दो फिल्म कास्ट– राजकुमार राव,भूमि पेंडेकर, गुलशन देवैया,चुम दरंग,शीबा पांडे, सीमा पाहवा और अन्य निर्देशक– हर्षवर्द्धन कुलकर्णी कहां देख सकते हैं– थिएटर रेटिंग– तीन स्टार्स

Badhai Do Movie Review : राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर स्टारर फिल्म ‘बधाई दो’ (Badhai Do) सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म बेहद जरूरी विषय पर बनाई गई है, जो कि समाज में आम टॉपिक नहीं है. इस फिल्म की कहानी एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी (LGBTQ) से जुड़ी है. फिल्म के टीजर में पहली नजर में कुछ साफ नहीं हुआ था, लेकिन ट्रेलर के बाद दर्शक समझ गए थे कि यह फिल्म कोई साधारण फिल्म नहीं है. फिल्म में राजकुमार राव (Rajkummar Rao) एक गे की भूमिका में हैं तो वहीं भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) लेस्बियन बनी हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब मेन स्ट्रीम एक्टर्स ने ऐसे किरदारों को चुना है. हालांकि इससे पहले वाणी कपूर भी फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ में अपनी बोल्डनेस दिखा चुकी हैं. लेकिन ‘बधाई दो’ फिल्म में दो मेन किरदार वो भी बड़ी स्टार कास्ट, इस तरह के किरदार में नजर आ रहे हैं.

फिल्म में दिखाया गया है कि इन लोगों के जीवन में कैसी चुनौतियां और मुश्किलें आती हैं. ऐसे में इस समुदाय के लोगों और परिवारों को एक नया दृष्टिकोण देने का प्रयास किया गया है. इससे पहले मिलते जुलते टाइटल ‘बधाई दो’ में आयुष्मान खुराना थे. इस फिल्म ने पुरानी सोच बदलने में काफी अहम भूमिका निभाई. वहीं अब ‘बधाई दो’ से भी ऐसी उम्मीद की जा रही है.

क्या है फिल्म की कहानी
भूमि पेडनेकर फिल्म में सुमि का किरदार निभा रही हैं. वहीं राजकुमार शार्दुल के रोल में हैं. शार्दुल और सुमि दोनों ही समलैंगिक हैं. दोनों उत्तराखंड से हैं. उनका परिवार उनके बारे में नहीं जानता कि वे समलैंगिक हैं. सुमि बतौर पीटी टीचर काम करती है तो वहीं शार्दुल एक हट्टा कट्टा नौजवान है जो पुलिस में भर्ती है. अब कहानी में मोड़ तब आता है जब इनका परिवार इनकी शादी के बारे में सोचता है. परिवार दोनों पर ही शादी का प्रेशर बनाता है. ऐसे में शार्दुल को जो लड़की दिखाई जाती है उसके बारे में उसे पता चलता है कि वह उसके जैसी है और उसे समझेगी. वह सुमि से बात करता है और अपनी हकीकत भी बयां करता है.

ऐसे में दोनों के बीच एक समझौता होता है, जिसके बाद दोनों की शादी हो जाती है. अब सारी दिक्कतें यहीं से शुरू होती हैं. असल में दोनों को लगता था कि शादी सामाजिक रूप से उनके लिए एक सुरक्षा कवच का काम करेगा, वहीं उन्हें मान्यता मिलेगी औऱ दोनों के बीच एडजस्टमेंट और अंडरस्टैंडिंग भी होगी. लेकिन मामला यहां पलट जाता है. शादी के चक्कर में फंसने के बाद अब परिवार उनपर बच्चा पैदा करने का प्रेशर बनाता है. अब ये दोनों मिलकर कैसे सुलझाएंगे ये परेशानी, क्या शार्दुल और सुमि की हकीकत सबके सामने आ जाएगी? क्या सब साफ होने के बाद परिवार उन्हें उस रूप में स्वीकार करेगा ये जानना बहुत इंट्रस्टिंग होने वाला है.