कोरबा : फर्जी मजदूरों को 12 लाख का भुगतान, कटघोरा वन मंडल का कारनामा, महिला सरपंच के परिजन भी शामिल

कोरबा। कोरबा जिले में फर्जी मजदूरी के नाम पर लाखों-करोड़ों का घोटाला हो रहा है। फिलहाल कटघोरा वन मंडल में फर्जी मजदूरों को असली भुगतान करने का मामला सामने आया है। यहां कार्यस्थल से 50 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर दूसरे विकासखंड के रहने वाले मजदूरों ने आकर जंगल के भीतर तालाब निर्माण में मजदूरी की और उन्हें 4 साल बाद भुगतान किया गया है।


भरोसेमंद विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत विकासखंड पोड़ी- उपरोड़ा के ग्राम पंचायत कुटेश्वरनगोंई में जंगल के भीतर वर्ष 2018-19 के मध्य तालाब का निर्माण कराया गया था। इस निर्माण में नियोजित मजदूरों के नाम उनकी मजदूरी का भुगतान हाल ही में करीब 4 माह पहले जारी किया गया है। इसमें 12 लाख से अधिक का घोटाला होना बताया जा रहा है। दरअसल पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के पंचायत कुटेश्वरनगोई के इस तालाब निर्माण में मजदूरी करने के लिए तत्कालीन रेंजर को ना तो इस गांव में और ना ही इसके आसपास के पंचायत अथवा कटघोरा ब्लॉक के पंचायतों से मजदूर मिला बल्कि उन्होंने जिनके नाम पर भुगतान किया है वह सभी करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत सरगबुंदिया व इसके आसपास के रहने वाले हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन मजदूरों के नाम भुगतान किया गया है, वह सरगबुंदिया सरपंच आराधना व फॉरेस्ट गार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर के परिजन/ नातेदार तथा परिचित हैं।


इनके नाम पर हुआ है खाता में भुगतान


हमने अपने स्तर पर पड़ताल किया तो पाया कि करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत सरगर्बुंदिया की सरपंच आराधना के पति अश्वनी, देवर प्रवीण पिता बलराम, रविंद्र पिता बलराम, रणजीत पिता बलराम के द्वारा यहां मजदूरी करना बताकर उनके नाम से राशि का भुगतान खाता में किया गया है। इनके अलावा संतोषी /करमन, मनीषा/करमन, जयंती/ महामाया, सुकलाल/हरिप्रसाद, विनोद /लक्ष्मण, लक्ष्मण/ गंगाधर, राजेश /गोरेलाल, मोक्ष मदन/ शिवलाल, राजकुमार /घासीराम, मधु /छत्रपाल, रामेश्वर /सिरपाल, अरुण/श्रवण कुमार, अमृता कुमारी/श्रवण कुमार, देव शरण/ बेचन, कमला /देवशरण, लक्ष्मी/ देवशरण, सरवन/देव शरण, रामबाई/ देव शरण आदि के नाम मजदूरी भुगतान किया गया है।


3.44 लाख सरपंच के ही घर भुगतान


इस भुगतान में फॉरेस्ट गार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर के भाइयों को ही 3 लाख 44 हजार 338 रुपये का भुगतान उनके खाते में ट्रांसफर किया गया है। रविंद्र के नाम पर कुल 99 हजार 578 रुपये, प्रवीण के नाम पर 99 हजार 122 रुपये, रंजीत के नाम पर 96 हजार 138 रुपए, अश्वनी के नाम पर 49 हजार 500 रुपये मजदूरी भुगतान कराया गया है। तालाब निर्माण के कार्य में इनके अलावा अन्य नियोजित बताए गए सभी फर्जी मजदूरों को मिलाकर कुल 12 लाख 18 हजार 913 रुपए का भुगतान किया गया है। भुगतान तो असली है लेकिन मजदूर पूरी तरह से फर्जी हैं जो करतला ब्लॉक से काम करने के लिए पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक की लंबी दूरी तय कर पहुंचे थे।


कोरबा वन मंडल भी सुर्खियों में


फर्जी मजदूर और मजदूरी का यह कोई पहला और नया मामला नहीं है। कोरबा वन मंडल का कुदमुरा वन क्षेत्र भी सुर्खियों में रहा है। यहां तो आलम यह है कि काम करने के लंबे वर्षों बाद भी मजदूर अपने मेहनताने के लिए भटक रहे हैं जबकि उनके नाम की मजदूरी किसी और के खाते में ट्रांसफर करके निकालकर बंदरबांट भी कर लिया गया है। करतला रेंज में भी मजदूरों का भुगतान बाकी है। मजदूर मजदूरी के लिए ऑफिस का चक्कर लगा-लगा कर थक गये और कुछ मजदूर तो अपनी मजदूरी मांगना बंद कर दिये हैं। अधिकारी, रेंजर, डिप्टी रेंजर व अधीनस्थ लोग मिलकर खूब मोर नचा रहे हैं क्योंकि देखने वाला तो कोई है ही नहीं।