Omicron Variant : प्लास्टिक पर 8 दिन तक, तो त्वचा पर 21 घंटे ज़िंदा रहता है ओमिक्रॉन

Omicron Variant: भारत में कोरोना वायरस के कुल मामले 2,85,914 लाख दर्ज किए गए हैं। वहीं, 24 घंटे में इस महामारी से 665 मरीज़ों की मौत हो गई है। इसी के साथ कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 4 करोड़ के ऊपर पहुंच चुकी है। कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या की बात करें तो भारत दुनियाभर में दूसरे नंबर पर है। वहीं, अमेरिका 7.29 करोड़ संक्रमितों के साथ टॉप पर है।

यह मामले कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से बढ़ रहे हैं। ओमिक्रॉन को अभी तक पहले आए वेरिएंट की तुलना काफी मामूली माना जा रहा है। हालांकि, इस पर शोध जारी है और इसके बारे में नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं।

प्लास्टिक और त्वचा में ज़्यादा देर ज़िंदा रहता है ओमिक्रॉन

जापानी शोधकर्ताओं ने लैब परीक्षण में पाया कि ओमिक्रॉन प्लास्टिक की सतहों और मानव त्वचा पर कोरोना वायरस के पुराने वेरिएंट्स की तुलना में अधिक समय तक जीवित रह सकता है। शोध में बताया गया कि इसकी उच्च “पर्यावरणीय स्थिरता” – संक्रामक रहने की इसकी क्षमता – ने ओमिक्रॉन को डेल्टा को प्रमुख संस्करण के रूप में बदलने और तेज़ी से फैलने में मदद की हो सकती है।

प्लास्टिक की सतहों पर, अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट का औसत जीवित रहने का समय क्रमशः 56 घंटे, 191.3 घंटे, 156.6 घंटे, 59.3 घंटे और 114.0 घंटे था। वहीं, ओमिक्रॉन 193.5 घंटे ज़िंदा रह सकता है। वहीं त्वचा पर अल्फा 19.6 घंटे, बीटा 19.1 घंटे, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटे और ओमिक्रॉन 21.1 घंटे ज़िंदा रहता है।

शोध में पाया गया कि त्वचा पर अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र लगाने से 15 सेकंड में सभी तरह के वेरिएंट पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाते हैं। यही वजह है कि शोधकर्ता, हाथों की स्वच्छता, हैंड सेनिटाइज़र और डिसइंफेक्टेंट के उपयोग पर ज़ोर दे रहे हैं ताकि संक्रमण को कंट्रोल किया जा सके। WHO भी लगातार कोविड से जुड़ी सावधानियों को बरतने की सलाह दे रहा है। जिसमें मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाना और स्वच्छता का ख्याल रखना शामिल है।

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