उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) का शंखनाद हो गया है, लेकिन इससे पहले से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) गरमा हुई है. इसका कारण समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच जारी शह-मात का खेल है. असल में बीजेपी उत्तर प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज होना चाहती है तो वहीं सपा 2017 से पहले किये गए विकास कार्यों और लोक लुभावने वादों के जरिए फिर से सत्ता पाने को बेताब है, लेकिन इसके साथ ही दोनों दल एक दूसरे के नेताओं पर सेंध भी लगा रहे हैं. बीजेपी से OBC के कई बड़े मंत्रियोंं और नेताओं ने बीते दिनों सपा का दामन थाम लिया था. जिसके बाद सपा के पक्ष में हवा चलने लगी.
वहीं इसके बाद बीजेपी भी मुलायम सिंह यादव परिवार में सेंध लगाने में कामयाब हुई. जिसके तहत मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थामा. अर्पणा यादव का बीजेपी में जाना देशभर के अखबारों की सुर्खियां बना. ऐसे में उनके बीजेपी में जाने से किसे नफा होगा और सपा को कितना नुकसान होगा, इसको लेकर कयासों का दौर अभी जारी है. इन 5 बातों से इस राजनीति गुणा-गणित को समझा जा सकता है.
सपा में अलग- थलग पड़ी अपर्णा यादव को बीजेपी में भविष्य बनाने का अवसर मिलेगा
असल में अपर्णा यादव पिछले 5 सालों से सपा में थी. उन्होंने 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार मिली. इसके बाद सपा में ना उन्हेंं कोई जिम्मेदारी दी और ना ही उन्हें कभी सपा के मंच पर सम्मानित के तौर पर जगह दी गई. हालांकि अर्पणा यादव 2017 के बाद से ही बीजेपी में अपनी नजदीकीयां बढ़ाने लगी थी, लेकिन कभी सपा और अखिलेश यादव की तरफ से उनसे बात करने की कोशिश भी नहीं गई. सपा में अलग – थलग पड़ चुकी अपर्णा यादव के सामने अब बीजेपी में जाने के बाद अपना राजनीतिक भविष्य बनाने का अवसर होगा और वह विधानसभा तक का सफर तय कर सकती हैं.
मुलायम सिंंह यादव परिवार की यह टूट बीजेपी के लिए अधिक फायदेमंद
मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं कई दिनों से थी. कहा जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव ने बहू को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं मानी और दिल्ली में पार्टी मुख्यालय के दफ्तर में बीजेपी का दामन थाम लिया. वहीं इससे पहले मुलायम सिंह यादव के समधी और सिरसागंज से समाजवादी पार्टी के विधायक हरिओम यादव ने बीजेपी का दामन थामा था. जबकि उसके बाद उनके साडू प्रमोद गुप्ता ने भी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. बीजेपी की इस सेंध और अर्पणा यादव के बीजेपी में शामिल होने की प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए लखनऊ के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सियाराम पांडे बताते हैं की अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने से भले ही उन्हें फिलहाल कोई बड़ा फायदा ना हो, लेकिन बीजेपी को इससे बड़ा फायदा जरूर होगा.
सियाराम पांंडे बताते हैं कि बीते 1 हफ्ते में ही मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव, साडू प्रमोद गुप्ता और छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थाम कर यह साबित कर दिया है की मुलायम सिंह यादव के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं है. इससे सपा की छवि को धक्का भी लगना स्वाभाविक है और भाजपा मुलायम सिंह परिवार की इस टूट का फायदा उठा सकती है. राजनीतिक विश्लेषक सीताराम पांडे बताते हैं कि जिस तरह 2017 में मुलायम सिंह यादव परिवार में दरार पड़ गई थी, जिसका पूरा फायदा बीजेपी को मिला. उसी तरह इस बार भी भाजपा मुलायम सिंह यादव परिवार में पड़ी दरार को दिखाकर फायदा हासिल करने की पूरी तैयारी में है.
बीजेपी में जाने वाली मुलायम सिंह परिवार की दूसरी महिला है अपर्णा यादव, सपा की इमेज पर असर
अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल होने वाली मुलायम सिंह यादव परिवार की पहली महिला नहीं बल्कि वह दूसरी महिला है. उनसे पहले भी मुलायम के भाई अभय राम यादव की बेटी संध्या यादव बीजेपी में शामिल हो चुकी है. अब तक मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार और परिवार के कुल 5 लोग बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. बीते दिनों डैमेज कंट्रोल करते हुए अखिलेश यादव ने एक ट्वीट के माध्यम से यह जताने की कोशिश की थी की परिवार के लोगों के बीजेपी में शामिल होने से समाजवादी विचारधारा का विस्तार हो रहा है, जो संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करेगी. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैंं कि भाजपा के यह स्ट्रोक सपा के इमेज को नुकसान पहुंचाते हैं.
अर्पणा यादव के जाने से सपा के वोटरों के बीच बीजेपी की प्रासंगिकता बढ़ेगी
मुलायम सिंह यादव की बहू अर्पणा यादव पर सेंध लगाकर बीजेपी ने सपा के पारंपरिक वोट बैंक पर सेंध लगाई है. जाहिर तौर पर अर्पणा यादव पूरे उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंंह की छोटी बहू के तौर पर लोकप्रिय हैं और उनके साथ बड़ी संख्या में सपा के पारंपरिक वोटर भी जुड़े हैं. ऐसे में वह अगर इस चुनाव में बीजेपी के लिए वोट मांगती हैं तो जाहिर तौर पर सपा का कुछ पारंपरिक वोट उनके कहने पर बीजेपी के खाते में जाएंगे. जिसका फायदा बीजेपी को दो तरह से होगा. एक तो बीजेपी का वोट बैंक बढ़ेगा होगा, वहीं दूसरी बार मुख्य विपक्षी दल सपा का वोट कम होगा. हालांकि अर्पणा यादव का प्रभाव कितनी सीटों पर हैं, यह कहना अभी जल्दीबाजी होगा.
‘सपा में महिलाएं नहीं है सुरक्षित’, भाजपा इस नारे के सहारे महिला मतों को लामबंद करने में जुटी
बीजेपी अपने सुशासन को लेकर 2022 के चुनाव में है. वहीं बीजेपी इस चुनाव में जोर-शोर से इस बात को प्रचारित कर रही है कि सपा राज में बहू बेटियां सुरक्षित नहीं है. ऐसे में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का सपा छोड़कर बीजेपी में जाना पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. बीजेपी सपा में महिलाएं नहीं हैं सुरक्षित के नारे से प्रदेश की महिलाओं को अपने पक्ष में लामबंद करने जुटी हुई है. जिसमें अर्पणा यादव की बड़ी भूमिका हो सकती है.
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