करोड़ो रुपए लगाने के बाद भी गंगा का जल नहीं है आचमन लायक, शुक्लागंज में प्रदूषित मानक के करीब ऑक्सीजन लेवल, दिल्ली भेजी जाएगी रिपोर्ट

नमामि गंगे के तहत गंगा ( Namami gange project) को स्वच्छ, निर्मल और अविरल रखने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिया है, लेकिन उसके बाद भी गंगा (Ganga River) का जल दूषित होने से नहीं रोका जा सका है. दरअसल केन्द्रीय जल आयोग की एक एजेंसी ने मशीन के आंकड़ों को देखकर बताया कि गंगा का पानी दूषित हो रहा है और ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है इससे जलीय जीवों की जान को खतरा है. इसकी रिपोर्ट दिल्ली के केन्द्रीय जल आयोग भेजी जायेगी. एक्सिस नेनो के सुपरवाइजर आलोक तिवारी लखनऊ मुख्यालय से शुक्लागंज स्थित नवीनपुल पहुंचे. जहां नवीन ने गंगा पुल पर लगी ऑनलाइन मॉनिटरिंग मशीन सिस्टम देखा. गंगा के जल मापी प्रदूषण यंत्र का निरीक्षण किया.

इस दौरान टेलीमैट्री मशीन के जरिये गंगा में ऑक्सीजन लेवल के साथ प्रदूषण लेवल देखा गया. आलोक तिवारी ने बताया कि वर्तमान में गंगा के पानी में ऑक्सीजन लेवल 8.31 पीपीएम है, जो प्रदूषण लेवल के मानक 9 पीपीएम के बिलकुल नजदीक है.

जलजीवों की जान को हो सकता है खतरा

इसके कारण अगर गंगा का पानी प्रदूषित होता है तो उसमें रहने वाले जलजीवों की जान को खतरा होगा. ऐसे में ऑक्सीजन लेवल समाप्त होने से इसका असर जलीय जीव-जंतुओं पर भी पड़ सकता है. जिससे जलीय जीवों की मौत भी हो सकती है. साथ ही गंगा का पानी आचमन लायक भी नहीं रह जाता है. उन्होंने बताया कि मशीन से मिले आंकड़े की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर इसे केंद्रीय जल आयोग दिल्ली मुख्यालय भेजा जाएगा.

गंगा के पानी में ऑक्सीजन की कमी

गंगा के जल में रहने वाले जलीय जीवो की जिंदगी पर खतरा मडरा रहा है. यह जांच रिपोर्ट में बताया गया कि जल में ऑक्सीजन की कमी हो रही है जिससे आने वाले समय में जलीय जीवो को सांस लेने में दिक्कत होगी और जल में ही उनकी मौत हो सकती है. हालांकि अभी गंगा के जल की जांच रिपोर्ट भेजी गई है. और गंगा को स्वच्छ रखने के लिए अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है. फिलहाल तो नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा को स्वच्छ रखने में उन्नाव प्रशासन पूरी तरीके से फेल रहा है. प्रोजेक्ट के नाम पर घाट पक्का हो गया लेकिन गंगा का जल स्वच्छ नहीं हो सका.