वर्धा 19 जनवरी (वेदांत समाचार)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने विधि की शिक्षा हिंदी माध्यम से प्रदान करने की ऐतिहासिक पहल करते हुए विधि शिक्षा के भारतीयकरण का प्रारंभ किया है। विश्वविद्यालय से विधि शिक्षा के स्नातक सभ्य और सुसंस्कृत व्यक्ति के रूप में पहचान प्राप्त करेंगे। यह विचार कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किए। प्रो. शुक्ल विधि विद्यापीठ के विधि विभाग की ओर से संचालित बी.ए. एलएल.बी. (ऑनर्स) पाठ्यक्रम के दीक्षारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।
बुधवार 19 जनवरी को आयोजित ऑनलाइन दीक्षारंभ में कुलपति प्रो. शुक्ल ने शिक्षकों और विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव और विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर विधि की शिक्षा हिंदी माध्यम से करने का प्रारंभ होना एक ऐतिहासिक पल है। उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में विधि की शिक्षा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि यहां के स्नातक न्यायाधिकारी बनकर समाज को श्रेष्ठ, न्याय युक्त जीवन देने वाले विधि व्यवसायी तथा बेहतर नागरिक बनकर निकलेंगे
प्रो. शुक्ल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई ने विधि शिक्षा के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करने की सहमति प्रदान की है। विधि किताब में लिखी इबारत मात्र नहीं हैं बल्कि यह मनुष्य की स्वतंत्रता को बनाए रखने का विचार देती है। नैतिकता ही विधि का मूल स्वरूप है। नव प्रवेशित विद्यार्थियों को शुभाशंषा देते हुए कुलपति प्रो.शुक्ल ने कहा कि विधि की शिक्षा हिंदी माध्यम से प्रारंभ होने से विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक गति में नई उंचाई प्राप्त हुई है।
कार्यक्रम का स्वागत एवं प्रास्ताविक विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. चतुर्भुज नाथ तिवारी ने किया । उन्होंने कहा कि विधि की शिक्षा हिंदी में देने का सर्वथा नवीन पाठ्यक्रम प्रारंभ करना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अपेक्षाएँ और सभी विधिक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए इस पाठ्क्रम को शुरू किया जा रहा है। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि यहां से निकलने वाले स्नातक न्याय योद्धा बनकर निकलेंगे और विवाद मुक्त निर्णय कर न्यायपालिका में योगदान दे सकेंगे।
कार्यक्रम में विधि विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. मनोज कुमार ने आभार ज्ञापित किया। सहायक प्रो. डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ कुलगीत से तथा समापन राष्ट्रगीत (वंदे मातरम्) से किया गया। इस अवसर पर शिक्षक नवप्रवेशित विद्यार्थी बड़ी संख्या में आभासी माध्यम से जुड़े थे।
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