उम्मीदवारों के क्रिमिनल रिकार्ड छुपाने वाले दलों का पंजीकरण रद की मांग वाली याचिका सुनने को SC तैयार

नई दिल्ली 18 .(वेदांत समाचार)। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें चुनाव आयोग को उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद करने का निर्देश देने की मांग की गई है जो उम्मीदवार के चयन के कारण के साथ उनके आपराधिक मामलों से संबंधित विवरण का खुलासा नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। याचिका में कहा गया है कि 13 जनवरी, 2022 को समाजवादी पार्टी ने कुख्यात गैंगस्टर नाहिद हसन को कैराना से मैदान में उतारा, लेकिन शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार, 48 घंटे के अंदर न तो उसका आपराधिक रिकार्ड इलेक्ट्रानिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रकाशित किया गया और ना ही उसके चयन का कारण बताया गया। याचिका में शीर्ष अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दल का पंजीकरण रद करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है कि प्रत्येक राजनीतिक दल यह बताएं कि उसने आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार को क्यों प्राथमिकता दी और 48 घंटों के भीतर बिना आपराधिक इतिहास वाले व्यक्ति का चयन क्यों नहीं किया।

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया गया है कि प्रत्येक राजनीतिक दल 48 घंटे के भीतर इलेक्ट्रानिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में उम्मीदवार के आपराधिक मामलों को प्रकाशित करे और जो पार्टी शीर्ष अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करती है, उसके प्रमुख के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया जाए। याचिका में कहा गया है, नाहिद हसन, जो लगभग 11 महीने पहले उस पर लगाए गए गैंगस्टर एक्ट के तहत हिरासत में है, वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने वाला पहला उम्मीदवार है। 13 फरवरी, 2021 को शामली पुलिस ने नाहिद पर गैंगस्टर एक्ट लगाया था। कैराना से दो बार विधायक रहे हसन के खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं और कैराना से हिंदू पलायन का मास्टरमाइंड भी उसे माना जाता है। उसके खिलाफ धोखाधड़ी और जबरन वसूली सहित कई आपराधिक मामले हैं और विशेष विधायक-एमपी कोर्ट द्वारा उसे भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है।