जब भारत में पहली बार चुनाव हुए थे तो देश में क्या था माहौल, काफी दिलचस्प है कहानी

भारत में जब आजादी के बाद पहली बार चुनाव हुआ था तो बहुत अलग परिस्थिति थी और भारत की स्थिति काफी अलग थी. इसलिए, आज उस चुनाव के बारे में बताते हैं, जो आजाद भारत में पहली बार आयोजित हुआ था.

भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) होने वाले है. चुनाव आयोग से लेकर प्रशासन और राजनैतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियां कर रही हैं. इस बार कोरोना की वजह से चुनाव की तस्वीर कुछ अलग होने वाली है और हमेशा से अलग तरह से चुनाव करवाने का प्लान बनाया गया है. इसमें कई टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल होगा, जिससे निष्पक्ष चुनाव के साथ जनता की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि जब भारत आजाद (Independent India) हुआ तो उसके बाद करवाए गए पहले चुनाव (First Election Of India) में क्या स्थिति थी. आजादी के कुछ साल बाद हुए पहले चुनाव में लोगों ने कैसे वोट डाला होगा और उस दौरान भारत में क्या माहौल रहा होगा.

आपने देखा होगा कि पिछले कुछ सालों में चुनाव की तस्वीर और प्रचार करने का तरीका काफी बदल चुका है, जहां पहले मतदान पेटी में वोट डाले जाते हैं, अब उनकी जगह वोटिंग मशीन ने ले ली है. मगर, उस दौरान सुदूर इलाकों में चुनाव करवाना काफी मुश्किल भी रहा होगा. ऐसे में आज पॉइंट्स के जरिए जानते हैं कि आखिर साल 1951 में जब पहली बार चुनाव हुए तो देश की क्या स्थिति थी और किस तरह से चुनाव प्रक्रिया आयोजित की गई थी…

21 साल से ऊपर के डालते थे वोट

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत में पहली बार चुनाव आजादी के करीब 4 साल बाद हुए थे. चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से फरवरी के बीच चले थे. चुनाव में 53 राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव लड़ा था और 1874 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे. यह चुनाव लोकसभा का चुनाव था और 401 सीटों पर हुआ था. इस चुनाव में 18 साल से अधिक वर्ष के नहीं बल्कि 21 साल से अधिक उम्र के लोगों ने वोट दिया था. उस वक्त देश की जनसंख्या 36 करोड़ थी और 17.32 लोग वोट देने के लिए एलिजिबल थे. इसमें से 45 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.’

कौन जीता चुनाव?

इस चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और चुनाव के बाद जवाहर लाल नेहरू पहले चयनित प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस को उस वक्त दूसरी बड़ी पार्टी से चार गुना वोट मिले थे. वहीं, सीटों की बात करें तो कांग्रेस ने 364 सीटें जीती थीं, जबकि सीपीआई को 16 सीट मिली थी. कांग्रेस को 45 फीसदी से अधिक लोगों ने अपना वोट दिया था.

पहली बार कैसे की गई तैयारी

– जब भारत में पहली बार चुनाव हुए तो बहुत से लोगों को पहले से इसके बारे में नहीं था. ऐसे में लोगों के लिए सितंबर में मॉक इलेक्शन भी करवाए गए. यानी लोगों को पहले डेमो दिया गया कि किस तरह से इलेक्शन होता है और कैसे वोट देना है.

– cambridge की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैसे राजस्थान में कई रेगिस्तानी इलाकों में पहली बार काफी मुश्किल हुई थीं. यहां जाने के लिए सड़क नहीं था, टेलीफोन फैसिलिटी नहीं थी. ऐसे में आर्मी व्हीकल के जरिए वहां मत पेटियों की व्यवस्था की गई. इसके अलावा ऊंटों के जरिए भी पोलिंग स्टेशनों तक पहुंचा गया और चुनाव करवाए गए. वहीं, मणिपुर में बर्मा बॉर्डर और त्रिपुरा में कहीं हाथी से तो कहीं रेड कंबल के इनाम देकर चुनाव करवाए गए.

– सत्याग्रह की एक रिपोर्ट में रामचंद्र गुहा के अनुसार कहा गया है, ‘एक समस्या इस बात की भी थी कि जनगणना के वक़्त तब अशिक्षित महिलाएं अपना नाम ‘फलां की मां’ या ‘फलां की पत्नी’ ही बताती थीं. इसके चलते सुकुमार सेन ने निर्णय लिया कि ऐसी कुल 28 लाख महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट में से हटा दिए जाएं और अगले चुनावों तक इस समस्या से निजात पायी जाए.चुनावों की प्रक्रिया को समझाने और चुनाव होने की ख़बर देने के लिए आयोग ने रेडियो और फ़िल्मों का सहारा लिया.’

– दीवारों और ऐतिहासिक स्थलों को पोस्टरों और नारों से पाटा गया. कहीं-कहीं तो गायों की पीठ पर लिखकर पार्टी के लिए वोट मांगे गए.