भारतीय भाषाएँ एवं संस्कृति एक विश्व की अनुपम धरोहर- डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा 10 जनवरी (वेदांत समाचार)। हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इस क्रम में पहले नंबर पर अंग्रेजी भाषा, दूसरे नंबर पर मंदारिन और तीसरे नंबर पर स्पैनिश है। विश्व में हिन्दी का विकास करने और एक इंटरनेशनल लैंगवेज के तौर पर इसकी पहचान बनाने के मकसद से विश्व हिन्दी दिवस की शुरुआत की गई थी। विश्व हिंदी सम्मेलन की संकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा की गई थी। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के ही तत्वाधान में तीन-दिवसीय प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन चूंकि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया इसलिए आगे चलकर प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस मनाने के लिए 10 जनवरी की तिथि सुनिश्चित कर दी गई। पहली बार 10 जनवरी 2006 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया । हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश पाकर विश्वभाषा के रूप में समस्त मानवजाति की सेवा की ओर अग्रसर हो। साथ ही यह किस प्रकार भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र वसुधैव कुटुंबकम विश्व के समक्ष प्रस्तुत करके एक विश्व एक मानव-परिवार की भावना का संचार करे।

वर्तमान समय में बच्चे अपनी मातृभाषा भी भूलते जा रहे हैं । क्योंकि धीरे-धीरे अपनी मातृभाषा में बात न करना फैशन सा बनता जाता है, इससे गाँव और शहर के बच्चों में दूरियाँ बढ़ती है । गाँव देहात के बच्चे जो सबकुछ अपनी मातृभाषा, लोकभाषा में सीखते हैं, अपने को हीन और शहर के बच्चे जो सबकुछ अंग्रेजी में सीखते हैं, स्वयं को श्रेष्ठ बेहतर समझने लगते हैं । इस दृष्टिकोण में बदलाव आना चाहिए । हमारे बच्चों को अपनी मातृभाषा और उसी में ही दार्शनिक भावों से ओतप्रोत लोकगीतों इत्यादि का आदर करते हुए सीखना चाहिए नहीं तो हम अवश्य ही कुछ महत्वपूर्ण खो देंगें ।

विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में मातृभाषा हिन्दी को बढ़ावा देने व अपनी भाषा के ज्ञान एवं सम्मान करने विविध आयोजन किए गए । इस आयोजन में हिन्दी विभाग की ओर से बच्चों के लिए संगोष्ठी, भाषा क्लब का गठन, कविता वाचन, निबंध लेखन, सुलेख, वाद-विवाद का आयोजन किया गया । आयोजन का स्तर कक्षा के आधार पर रखा गया ।

ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता छठवीं से बारहवीं तक के बच्चों के लिए आयोजन किया गया जिसमें 100 से अधिक बच्चे शामिल हुए । इस प्रतियोगिता में प्रथम-आराधना सिहाग, द्वितीय-हिना खान, तृतीय-दीपक कलाल, चतुर्थ-प्रतीक कुमार, पंचम-पूजा यादव, षष्ठी-अर्चिता नायक, सप्तमी-इतेश कुमार, अष्टम-प्रिया सिंह, नवम-प्रज्ञा पांडेय, दसम-पायल यादव स्थान पर रहे ।

नवमीं से बारहवीं तक के बच्चों का ‘‘विश्व में हिंदी की पहचान विषय पर भाषण प्रतियोगिता हुआ जिसमें प्रथम-मिशा सिंधु, कक्षा दसवीं, द्वितीय-अमिशा यादव, कक्षा ग्यारहवीं, तृतीय-सोनल राज, कक्षा-नवमीं स्थान रहे इसी क्रम में कक्षा छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों का हिंदी भाषा के महत्व के ऊपर कविता वाचन कराया गया जिसमें प्रथम-वंदना सिहाग, कक्षा-आठवीं, द्वितीय-पायल यादव, कक्षा-आठवीं, तृतीय-ग्रीतिका वत्स, कक्षा-सातवीं स्थान पर रहे । कक्षा चौंथी एवं पांचवीं के छात्रों का पोस्टर मेंकिंग प्रतियोगिता हुआ जिसमें प्रथम-केशव जोशी, कक्षा-पाँचवीं, द्वितीय-निकिता हेम्ब्रोम, कक्षा-पाँचवीं, तृतीय-दिपेश कुमार, कक्षा-पाँचवीं स्थान रहे । सभी प्रतियोगिताओं में सफल होने वाले छात्र-छात्राओं को प्राचार्य द्वारा प्रशस्ती-पत्र प्रदान किया गया ।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि हिंदी दिवस को उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हिंदी हमारे देश की आधिकारिक भाषा बन गई। यह हर साल हिंदी के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है जो अंग्रेजी से प्रभावित है। यह युवाओं को अपनी जड़ों के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं और हम क्या करते हैं अगर हम अपनी जड़ों के साथ मैदान में डटे रहे और समन्वयित रहें तो हम अपनी पकड़ मजबूत बना लेंगे।

यह दिन हर साल हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है और देश के लोगों को एकजुट करता है। जहां भी हम जाएँ हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ बरकरार रहने चाहिए और ये एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करते है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। जहाँ अंग्रेजी एक विश्वव्यापी भाषा है और इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है वहीँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम पहले भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाने से साबित होता है कि सत्ता में रहने वाले लोग अपनी जड़ों को पहचानते हैं और चाहते हैं कि लोगों द्वारा हिंदी को भी महत्व दिया जाए। आज के समय में अंग्रेजी की ओर एक झुकाव है जिसे समझा जा सकता है क्योंकि अंग्रेजी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है और यह भी भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यह दिन हमें यह याद दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है कि हिंदी हमारी आधिकारिक भाषा है और बहुत अधिक महत्व रखता है।