केमिकल व फर्टिलाइजर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने शनिवार को यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए एक हाई लेवल बैठक की अध्यक्षता की. निर्माण भवन में हुई इस मीटिंग में उन्होंने ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ का इस्तेमाल कर डीएपी (Di-ammonium Phosphate) का उत्पादन करने की सलाह दी. इस बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने फर्टिलाइजर विभाग के अधिकारियों से भारत में कृषि को बढ़ावा देने और ‘ग्रीन फ्यूचर’ के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया.
देशभर में बीते दिनों फर्टिलाइजर संकट गहरा गया था. इस संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने देश को फर्टिलाइजर सेक्टर में भी आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई थी. इसके लिए केंद्र सरकार ने देश में स्थित फर्टिलाइजर आधारित घरेलू उद्योगों की मदद करके उन्हें आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. इसके लिए एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी, जिसमें मंत्रालय से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
फर्टिलाइजर सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर दिया गया जोर
बैठक में फर्टिलाइजर सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर जोर दिया गया. साथ ही बैठक में यह भी तय किया गया देश में फॉस्फेटिक और पोटाश (पीएंडके) का उत्पादन बढ़ाने के लिए फर्टिलाइजर उत्पादन में लगे घरेलू उद्योगों को दी जा रही मदद को जारी रखा जाए. साथ ही बैठक में अधिकारियों ने देश में फर्टिलाइजर का उत्पादन बढ़ाने के उदेश्य से न्यूट्रिशन बेस्ड सब्सिडी (उर्वरक सब्सिडी) के अतिरिक्त प्रावधानों को भी प्रस्तावित किया.
पीएम मोदी ने किया नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान
गौरतलब है कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ऊर्जा पर्याप्तता और सुरक्षा लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी. उन्होंने ऊर्जा स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इस योजना के तहत भारत को हरित हाइड्रोजन प्रोडक्शन और निर्यात के लिए एक ग्लोबल हब बनाना है.
फ्यूल के रूप में काम आएगी हाईड्रोजन
बताया जा रहा है कि हाईटेक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हाइड्रोजन को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस में मिलाया जाएगा और उसका इस्तेमाल परिवहन ईंधन के रूप में तथा तेल शोधन से जुड़ी औद्योगिकी इकाइयों में किया जाएगा. हाइड्रोजन से बने इस फ्यूल को पैदा करने का मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने और प्रदूषण में कमी लाने पर है. भारत अपनी ईंधन खपत का एक तिहाई हिस्सा आयात करता है, जिससे सरकारी खजाने पर बड़ा दबाव बनता है. जीवाश्म ईंधन जैसे कि पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए हाईड्रोजन गैस सही विकल्प साबित हो सकती है.
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