⭕ युवा दिवस पर आयोजित क्विज कॉंम्पिटिशन,चित्रकला प्रतियोगिता,शॉर्ट विडियो मेकिंग कॉम्पिटिशन और आशुभाषण प्रतियोगिता में बढ़चढ़कर भाग लिया इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने।
⭕ आई.पी.एस. -दीपका ने इंटरनेशनल यूथ डे के अवसर पर स्वामी विवेकानंद को आदर्श के तौर पर प्रस्तुत कर उनके व्यक्तित्व को आत्मसात करने हेतु ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चों को किया गया प्रेरित।
⭕ स्वामी विवेकानंद महान राजयोगी वे सन्त थे जिनके महान विचारों नें समाज को सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान किया-डॉ. संजय गुप्ता
⭕ यूथ आइकॉन के तौर पर युवाओं को स्वामी विवेकानन्द जी के व्यक्तित्व को अपनाना करना चाहिए – डॉ. संजय गुप्ता
कोरबा 9 जनवरी (वेदांत समाचार)। अगर किसी भारतीय युवा को समाज के समक्ष आइडल के तौर पर प्रस्तुत करना हो तो स्वामी विवेकानंद जी का संपूर्ण जीवन ही इस की गाथा सुनाता है, सम्पूर्ण विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि भारत में युवाओं की जनसंख्या अन्य देशों के युवाओं की जनसंख्या के मुकाबले सर्वाधिक है, इसलिए भारत को युवा भारत भी कहा जाता है किसी भी देश के विकास की उस देश के युवाओं के कार्यशैली पर निर्भर करती है, जबकि भारत में युवाओं की जनसंख्या अन्य देशों के मुकाबले सर्वाधिक है तो अब तक वास्तव में भारत को विश्व गुरु बन जाना था परंतु युवाओं को सहीं मार्गदर्शन व ज्ञान ना मिल पाने की वजह से हम आज भी पिछड़े हुए हैं, अब तक विश्व गुरु बनने का सपना अधूरा है, भारत के यूवाओं को ही आगे आकर भारत को विश्व गुरु बनाने में सहभागिता निभानी है उसके लिए जरूरत है प्रत्येक युवा को स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से सीखने की उनकी जीवन शैली को अपने जीवन में लाने की उन महान व्यक्तिव के धनी व्यक्ति के व्यक्तित्व को आदर्श के रूप में देखते हुवे अपने चरित्र को भी उन जैसा महान बनाने की अगर कोई इस दुनिया में अपनी पहचान बना पाता है, तो वह अपने चरित्र के वजह से अपने व्यक्तित्व की वजह से, आज लोग मेटेरिअलिस्टिक हो चुके है, जो सुख मटेरियल में ढूंढते रहते हैं जबकि लोगो को यह कम ही अहसास है कि सच्चा सुख सच्ची खुशी बाहरी दुनियां के आकर्षण में नहीं बल्कि अपने गुणों को तरासने में है, अपने व्यक्तित्व को निखारने में है, आज अगर हम किसी भी महान व्यक्ति को याद करते हैं उनकी स्मृति के दिवस मनाते हैं तो हम उनके व्यक्तित्व को उनके चरित्र को उनके गुणों को ही याद करते हैं, चूंकि एक व्यक्तित्व ही ऐसी कमाई है, जो व्यक्ति के मरने के पश्चात भी जीवित रहती है लोगों के जहन में याद बनकर प्रतिवर्ष 12 अगस्त को इंटरनेशनल यूथ डे के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है, इसके साथ साथ इसी दिन स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका द्वारा ऑनलाइन क्लासेस के दौरान इंटरनेशनल यूथ डे के अवसर पर स्वामी विवेकानंद जी को एक आइडियल भारतीय युवा के तौर पर प्रेजेंट करते हुए उनके गुणों को उनके चरित्रों का वर्णन बच्चों के सामने डिजिटल मीडिया के माध्यम से किया गया।
इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका में इंटरनेशनल यूथ डे उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।इन कार्यक्रमों को अलग-अलग कक्षा स्तर के हिसाब से विभाजित किया गया था। कक्षा पहली एवं दूसरी के लिए फैंसी ड्रेस एवं कलरिंग कॉंपिटिशन,कक्षा 3री से 5वीं के लिए क्विज कॉंपिटिशन,कक्षा 6वीं एवं 7वीं के लिए आशुभाषण प्रतियोगिता तथा 8वीं एवं 9वीं के लिए शार्ट विडियो मेकिंग प्रतियांगिता का आयोजन किया गया। सभी प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने अतिउत्साह के साथ भाग लिया।आशुभाषण प्रतियोगिता में कक्षा 6वीं के विद्यार्थी एकता राविश,प्रयाग जायसवाल,पायल सहारन,सारांश बनवाला,आयुष अग्रवाल,सौम्य साहु ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया वहीं कक्षा 7वीं से यश चहल,रिषभ मिश्रा,ग्रीतिका वत्स,इत्यादि ने स्वामी विवेकानंद के बारे में विभिन्न रोचक जानकारी साझा की।प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भी सभी बच्चों ने उम्दा प्रदर्शन किया।
बच्चों ने हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रभावी ढंग से आशुभाषण में अपनी प्रस्तुति दी।वहीं क्विज प्रतियोगिता में बच्चों को विज्ञान,राजनीति,फिल्म जगत,खेल जगत,अंतरिक्ष विज्ञान,भुगोल ,इतिहास इत्यादि सं संबंधित प्रश्न पूछे गए।पूरे कार्यक्रम का बच्चों ने भरपूर आनंद लिया।शार्ट विडियो मेकिंग प्रतियोगिता में भी बच्चों की क्रिएटिविटी काबिले तारीफ रही।संपूर्ण प्रतियोगिता विद्यालय की शैक्षणिक समन्वयक श्रीमती सोमा सरकार एवं श्री सव्यसाची सरकार के दिशा-निर्देश में संपन्न हुआ साथ ही विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं का भी विशेष सहयोग रहा।
श्रीमती सोमा सरकार ने कहा कि स्वामी विवेकानंद संत व सच्चे देश भक्त थे।उन्होंने कई विषयों पर अपने बहुमूल्य विचार दिए हैं। स्वामी विवेकानंद ने योग,राजयोग, तथा ज्ञानयोग जैसे ग्रंथों की रचना की है।स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएँ देश की सबसे बड़ी दार्शनिक संपत्ति है।युवा दिवस मनाने का उद्देश्य हीआने वाली पीढ़ी में इन पवित्र आदशों का संचार करना है।
इस दौरान इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता से हुई परिचर्चा में उन्होंने बतलाया कि आज इंटरनेशनल यूथ डे के अवसर पर स्वामी विवेकानंद जी की आत्मकथा को प्रेजेंट करते हुए उनके चरित्रों को उनके गुणों को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया आज बच्चों ने जाना कि किस तरह स्वामी विवेकानंद जी नें समाज हित हेतु सर्वश्रेष्ठ विचार प्रस्तुत किये, उन्होंने कई किताबें भी लिखी तथा योग राजयोग के संबंध में उनका ज्ञान अद्भुत था स्वामी विवेकानंद जी एक महान राजयोगी रहे जिसकी वजह से उनमें मन व बुद्धि में एकाग्रता की शक्ति थी, कंसंट्रेशन पावर की वजह से वह कई किताबों को पढ़कर याद कर आत्मसात कर अपने चरित्र का हिस्सा बना लिया था, क्योंकि ज्ञान ही जीवन में अनमोल रत्न है अगर कोई स्थूल धन कमाता भी है तो उसके पीछे भी दिमागी कसरत ज्ञान ही विद्धमान होता है, बिना ज्ञान के स्थूल धन की प्राप्ति भी नहीं होती तो ज्ञान रत्नों की प्राप्ति को इसलिय हमें हमारे गुणों को निखारने में फोकस करना चाहिए।
डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि आपमे से कुछ अभी काफी छोटे छोटे बच्चे हैं तो वहीं कुछ किशोरावस्था को भी प्राप्त कर चुके हैं, जिनकी अगली सीढ़ी युवा अवस्था ही होगी, तो आप सभी के कंधों पर भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश बनाने की जिम्मेदारी है, जिसके लिये अपने व्यक्तित्व को महान बनाना है, कि आपके आगे की पीढ़ी आपके गुणों का अनुसरण करें अपनी सोच सर्वदा ऊंची रखे, जीवन मे बाधाएं तो आएंगी ही आएंगी पर हर बाधाओं को संघर्ष करते हुवे आगे बढ़ते रहना है, विद्यार्थी जीवन मे अनुशाशन का बहूत ही महत्व है चूंकि विद्यार्थी जितना अनुशासित होता है उतनी ही ज्यादा सफलता उसके कदमों में होती है। स्वामी विवेकानंद ने पहले स्वयं के विचारों का परिवर्तन किया व सर्वश्रेष्ठ विचार समाज हित मे प्रस्तुत किये तब उन्हें दुनिया जान सकी, तो हमें भी अपने विचारों को सर्वश्रेष्ठ बनाना है जिसके लिए बुरी संगत से तो दूर रहना ही है सत्य का संग करना है क्योकि जैसा हम देखते हैं, सुनते हैं, बोलते हैं वैसा हम बन जाते हैं इसलिए अपने आप को पॉजिटिव बनाने के लिये पॉजिटिव देखे, सुने व बोले व संगत भी पोजिटिव रखें, अगर जीवन मे सफल व्यक्ति बनना है तो भीड़ का हिस्सा बनकर नहीं बल्कि भीड़ से अलग अपने अनुभव के सर्वश्रेष्ठ विचार प्रस्तुत करने होंगे तब ही कोई अपने व्यक्तित्व को महान बना सकता है किताबों को रटकर कोई महान नहीं बनता बल्कि किताबों को आत्मसात कर उनमे लिखी बातों को जीवन मे आत्मसात कर अपने विचारों को महान बनाया जा सकता है ।
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