वैक्सीनेशन के बावजूद कोरोना के मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे? जानिए एक्सपर्ट्स से जवाब

देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) और दिल्ली (Delhi) में संक्रमण सबसे अधिक फैल रहा है. दूसरी तरफ देश में वैक्सीनेशन (Vaccination) भी लगातार चल रहा है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि टीकाकरण के बावजूद भी नए मामलों में इतना इजाफा क्यों  है. क्या वैक्सीन का फायदा नहीं मिल रहा है. आइए जानते हैं कि इस बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है.

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि जब वैक्सीन (Vaccine) बनी थी. तब किसी भी संस्थान या डॉक्टर ने यह दावा नहीं किया था कि टीका लेने के बाद कभी संक्रमण नहीं होगा. वैक्सीन लगने का यह मतलब नहीं है कि इसके बाद अब कोरोना पॉजिटिव नहीं होंगे. यही कारण है कि जब देश में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था. तभी से लोगों को यह सलाह दी जा रही थी कि वैक्सीन लगने के बाद भी उन्हें कोविड से बचाव के नियमों का पालन करना होगा. वैक्सीन इस मकसद से बनाई गई थी ताकि बीमारी के गंभीर असर को कम किया जा सके. यानी, ऐसा न हो कि व्यक्ति संक्रमित हो जाए और उसकी हालत गंभीर हो जाए. टीके का मुख्य मकसद शरीर में संक्रमण से हुए नुकसान को कम करना है. हम यह देख भी रहें है कि ओमिक्रॉन (Omicron) से जो लोग संक्रमित हो रहे हैं. उनमें लक्षण काफी माइल्ड हैं. यानी, वह संक्रमित हुए भी हैं तो उनको ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है. हो सकता है कि यह वैक्सीन का ही असर हो. जिस कारण नया वेरिएंट ज्यादा गंभीर असर नहीं कर रहा है.

वैक्सीन न लेने वालों को खतरा

डॉ. किशोर का कहना है कि कि जिन लोगों ने अभी तक टीका नहीं लिया है. संक्रमित होने पर उनकी स्थिति बिगड़ रही है. आंकड़े भी बताते है कि वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों में टीका ले चुके लोगों की तुलना में मौत का खतरा कई गुना ज्यादा है. मुंबई और दिल्ली के अस्पतालों से मिले आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी. उनको अस्पताल में ऑक्जीसन सपोर्ट पर रखना पड़ रहा है. जबकि दोनों डोज ले चुके लोगों को तीन से चार दिन में ही छुट्टी मिल रही है. इससे पता चलता है कि वैक्सीन संक्रमण के गंभीर असर को कम करने में काफी कारगर साबित हो रही है.

कुछ समय बाद टीके से मिली इम्यूनिटी हो सकती है कम

कोविड एक्सपर्ट डॉ. अजय कुमार का कहना है कि देश में कई लोगों को चार से पांच महीने पहले ही दोनों डोज़ लग चुकी है. हमने देखा है कि समय बीतने के साथ वैक्सीन से मिलने वाली एंटीबॉडी (Antibody) का स्तर भी कम होने लगता है. यह लोगों की उम्र और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है. हालांकि, अभी तक किसी रिसर्च में यह बात सामने नहीं आई है कि वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी कितने समय तक रहती है, लेकिन इसका समय छह महीने से सालभर के बीच का हो सकता है. यही कारण है कि वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने की शुरुआत हो रही है.