उमरिया 03 जनवरी (वेदांत समाचार)। बांधवगढ़ में जिस तरह जंगली हाथियों का प्रबंधन हो रहा है। ठीक उसी तरह से जंगली हाथियों से प्रभावित देश के अन्य हिस्सों में भी अल्पकालीन प्रबंधन हो सकता है। यह सुझाव हाथी विशेषज्ञों ने छह और सात दिसंबर को बांधवगढ़ के जंगल और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली हाथियों के प्रबंधन को लेकर हुई कार्यशाला में दिए हैं। अल्पकालीन प्रबंधन में बांधवगढ़ ने सभी उपायों पर काम किया है। दीर्घकालीन प्रबंधन के लिए मध्य प्रदेश में हाथी प्रबंधन की आवश्यकता है। मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक आलोक कुमार ने बताया कि विशेषज्ञों ने यह सुझाव सरकार को भेजे हैं जिस पर जल्द ही अमल होना शुरू होगा।
विशेषज्ञ बांधवगढ़ के इस माडल से प्रभावित
बांधवगढ़ में पिछले साल ड्रोन से निगरानी का प्रशिक्षण भी हो चुका है और इस पर काम भी हुआ है। बांधवगढ़ के पतौर, पनपथा और खितौली रेंज में जंगल के गांवों में हाथी मित्र दल पिछले साल बनाए गए हैं। बांधवगढ़ के पतौर, पनपथा और खितौली के गांवों में वन विभाग ने ग्रामीण युवाओं को इस तरह के वाट्सएप ग्रुप बनाया है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर, पनपथा और खितौली रेंज में ग्रामीणों को जागरूक करने का अभियान लगातार चल रहा है। बांधवगढ़ में पैदल अमले को टार्च दी जा चुकी है। बांधवगढ़ के जंगल में ज्यादातर जांच चौंकिया पक्की हैं। बांधवगढ़ में करंट का झटका देने के लिए सोलर पावर फेंसिंग लगाई गई है।
इनका कहना है
हाथी विशेषज्ञ दल ने बांधवगढ़ क्षेत्र में दो दिन गुजाकर मुख्य समस्या और उसके प्रबंधन के उपाय को ठीक से समझा है। इसके बाद दल ने सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है, जिससे लघुु और दीर्घकालीन योजना बनाना आसान होगा।
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