असली शहद सालों-साल तक खराब नहीं होता. कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? विज्ञान कहता है कि इसे पीछे शहद में ऐसे तत्वों का होना जो इसे खास बनाते हैं. इसे जानने के लिए पहले यह समझना जरूरी है कि शहद आखिर बनता कैसे है कि इसमें इतनी खासियतें शामिल होती हैं. जानिए, इसका पूरा विज्ञान…
शहद को इकट्ठा करने के लिए मधुमक्खी फूलों का रस चूसती है. इस रस में कई तरह के शुगर, प्रोटींस और दूसरे केमिकल होते हैं. इसमें कुछ हिस्सा पानी का भी होता है. इसमें खासतौर पर सुक्रोज शुगर होती है जो घर पर मौजूद शक्कर की तरह ही होती है. मधुमक्खी फूलों का रस चूसकर शरीर में इकट्ठा करती है. इसके बाद इनके शरीर में मौजूद ग्रंथि से एंजाइम निकलकर इस रस में मिल जाता है.
फूलों का रस और एंजाइम मिलने के बाद यह शहद में तब्दील हो जाता है. एंजाइम मिलने के बाद सुक्रोज ग्लूकोज और फ्रक्टोज में टूट जाता है. यही शहद छत्ते में इकट्ठा होता है. विज्ञान कहता है, शहद में बहुत कम मात्रा में पानी होता है. इसलिए यह पानी को खींचता है. जब भी इसमें कोई बैक्टीरिया पहुंचता है तो प्राकृतिक तौर पर शहद उसका सारा पानी खींच लेता है, इसलिए शहद खराब नहीं होता और बैक्टीरिया डेड हो जाता है.
हेल्थलाइन की रिसर्च रिपोर्ट कहती है, मधुमक्खियों के शरीर से खास तरह का एंजाइम ग्लूकोज ऑक्सीडेज निकलता है जो शहद में मिल जाता है. यह एंजाइम शहद में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद करता है. जैसे-जैसे शहद पूरी तरह से तैयार होता है, इसमें हाइड्रोजन परॉक्साइड केमिकल बनता है यह भी इसमें बैक्टीरिया को पहुंचने से रोकता है.
एक सवाल उठता है कि क्या सभी तरह के शहद की क्वालिटी एक जैसी होती है? विज्ञान कहता है, शहद की क्वालिटी कई चीजों पर निर्भर होती है. जैसे- मधुमक्खी की प्रजाति, जिस फूल से रस इकट्ठा किया गया है उसकी प्रजाति. सामान्यतौर पर शहद में 80 फीसदी तक शुगर और 18 फीसदी तक पानी होने के कारण नमी कम रहती है, इसलिए यह खराब नहीं होता.
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