महाराष्ट्र 21 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। हाइवे में हुए एक हादसे में एक कुत्ता मर गया. वह कुत्ता अपने मालिक को जान से प्यारा था. कुत्ते की मौत से उसके मालिक उमेश भटकर को गहरा धक्का लगा. उन्होंने तय किया कि वे अपने कुत्ते को न्याय दिलवा कर रहेंगे. उन्होंने अपने कुत्ते को इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट की शरण ली. आठ साल तक उन्होंने कोर्ट में लड़ाई लड़ी. दुर्घटना के लिए दोषी बस चालक और इंश्योरेंस कंपनी को आखिर 3 लाख रुपए की भरपाई करनी पड़ी. यह लड़ाई पैसे के लिए नहीं थी. यह मालिक को बेहद प्रिय कुत्ते को इंसाफ दिलाने की लड़ाई थी. महाराष्ट्र के चंद्रपुर में यह अनोखी घटना हुई है. कुत्ते का नाम जॉन था.
चंद्रपुर शहर के तुकुम में रहने वाले उमेश भटकर 10 जनवरी 2013 की सुबह साढ़े छह बजे अपने 11 साल के लाड़ले कुत्ते को लेकर अयप्पा मंदिर के पास टहल रहे थे. तभी भरी हुई एक स्कूल बस ने गोपाल दूध डेयरी के पास जॉन को टक्कर मार दी. इस हादसे में जॉन की मौत हो गई. मेसर्स रहीम ट्रैवल्स का बस नंबर एम एच 40 एन 3766 द्वारा यह दुर्घटना हुई थी. इसके बाद भटकर ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई. जॉन का पोस्टमार्टम भी किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक्सिडेंट से मृत्यु होने की बात सही साबित हुई. दोषी ट्रैवल्स कंपनी के विरोध में भटकर ने कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी. आखिर में न्यायालय ने भरपाई करने का आदेश दिया.
ऐसे लड़ी कुत्ते के इंसाफ की लड़ाई, 8 सालों बाद मिली भरपाई
जॉन की मृत्यु के बाद दुर्घटना की भरवाई करने का आदेश मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल चंद्रपुर ने दिया. जॉन नाम का यह कुत्ता आरती इंफ्रा कंपनी में नौकरी किया करता था. इसके बदले में मालिक भटकर को 8000 रुपए हर महीने वेतन भी मिला करता था. स्कूल बस चालक की लापरवाही की वजह से जॉन की मृत्यु हुई थी. इस वजह से भटकर को हर महीने 8000 रुपए का नुकसान हो रहा था. भटकर ने बस के मालिक और इंश्योरेंस कंपनी से नुकसान भरपाई की मांग की. इसके लिए उन्होंने काफी तकादा किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. आखिर में उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस तरह से केस 8 सालों तक चलता रहा और आखिर में न्याय मिला.
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