कंपनी का नाम बदलने से GST रजिस्ट्रेशन में क्या होगा बदलाव, कौन सा फॉर्म भरना होता है जरूरी…

इस सीरीज की तीसरी किस्त में आज हम बात करेंगे कि कंपनी का कानूनी नाम (सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद जो नाम मिला है) बदल जाए, या बदला जाए तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन पर क्या असर होता है और दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए क्या करना होता है. पहली बात तो ये है कि कंपनी का नाम बदलने पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन में बदलाव करना ही पड़ेगा, ऐसा जरूरी नहीं. किसी-किसी केस में जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST registration) बिना बदले भी आगे का काम हो जाता है.

यह कंपनी के मालिकान समूह को तय करना होता है कि वह जीएसटी रजिस्ट्रेशन बदलना चाहता है या नहीं. कंपनी चाहे तो इसमें बदलाव कर सकती है. बिजनेस नाम या कंपनी का बदले जाने के बाद उसे जीएसटी पोर्टल पर अपडेट करना होता है. इसके लिए फॉर्म जीएसटी आरईजी-14 फॉर्म भरकर जमा करना होता है. ध्यान रखें कि कंपनी के नाम में बदलाव के 15 दिनों के अंदर यह फॉर्म भरना जरूरी होता है.

कैसे मिलती है मंजूरी

इस फॉर्म को भरने के बाद ही वेरिफिकेशन होता है और कंपनी के नाम में बदलाव को वैधता दी जाती है. जब कोई व्यक्ति नाम में बदलाव का आवेदन देता है तो जीएसटी अधिकारी उस आवेदन की जांच करने के बाद बदलाव को मंजूरी देता है. फॉर्म जीएसटी आरईजी-15 को वेरिफाई करने के बाद ही 15 दिनों के अंदर नाम में बदलाव को मंजूरी दी जाती है. जिस दिन से मंजूरी मिलती है, उस दिन से सुधार को वैधता दे दी जाती है.

इन कागजों की होगी जरूरत

जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST registration) में बदलाव के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज फॉर्म के साथ लगाने होते हैं.

अपने जमीन-कमरे की डिटेल- जिस जमीन पर बिल्डिंग या कमरे में कंपनी चल रही है उसके नाम में बदलाव कर रहे हैं, उस जमीन के मालिकाना हक का कागज देना होगा. इसके लिए प्रॉपर्टी टैक्स रिसीट दे सकते हैं. नगर निगम के खाता की कॉपी या बिजली बिल दे सकते हैं. यह तब देना होता है जब जमीन या कमरा आपने नाम पर हो.

किराये की प्रॉपर्टी- अगर किराये की प्रॉपर्टी में ऑफिस चल रहा है और उसके नाम में कोई बदलाव कर रहे हैं तो वैध रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट दे सकते हैं. मकान मालिक के नाम प्रॉपर्टी टैक्स रिसीट, निगम के खाता की कॉपी या बिजली बिल दे सकते हैं.

जमीन न किराये की हो, न खुद की- जिस प्रॉपर्टी में ऑफिस चल रहा है अगर वह न किराये की हो औ न खुद की प्रॉपर्टी हो तो उसका नियम अलग है. जिस व्यक्ति के नाम प्रॉपर्टी हो उसके मालिकाना हक के कागज के साथ एक कॉन्सेंट लेटर लगाना होगा. मालिकाना हक के कागज में ऊपर बताए गए दस्तावेज दे सकते हैं.

अगर रेंट एग्रीमेंट न हो तो क्या करें- जिस दिन से आपने प्रॉपर्टी का पजेशन अपने हाथ में लिया है उस दिन का विवरण के साथ एक एफीडेविट जीएसटी फॉर्म के साथ लगाना होगा. इसके साथ बिजली बिल की कॉपी जमा कर सकते हैं.

अगर SEZ में ऑफिस हो- अगर आपका दफ्तर स्पेशल इकोनॉमिक जोन में है और उसके नाम में बदलाव कर रहे हैं या जीएसटी रजिस्ट्रेशन बदल रहे हैं तो सेज के लिए भारत सरकार की ओर से जारी कोई भी दस्तावेज लगाना जरूरी होगा