राहुल गांधी के ‘हिंदू-हिंदुत्ववादी’ वाले बयान को शिवेसना ने सराहा, सामना ने कहा- अब नए रास्ते पर चल रही कांग्रेस

कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के भारत “हिंदुत्ववादियों का नहीं बल्कि हिंदुओं का देश है,” कहने के दो दिन बाद शिवसेना ने कहा है कि वह अपनी पार्टी को एक नई दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.

शिवसेना के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा गया है कि “हिंदू” और “हिंदुत्ववादी” पर राहुल गांधी के शब्दों से पता चलता है कि “बेकार धर्मनिरपेक्षता” में फंसी पार्टी ने एक लंबे समय के बाद बहुसंख्यक हिंदुओं से अपील की है. राहुल गांधी ने लगातार बढ़ती महंगाई के विरोध में 12 दिसंबर को जयपुर में एक रैली में कहा, ‘यह हिंदुओं का देश है, हिंदुत्ववादियों का नहीं. आज अगर इस देश में महंगाई है, दर्द है तो यह काम हिंदुत्ववादियों ने किया है. हिंदुत्ववादियों को किसी भी हालत में सत्ता चाहिए. इनका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं. 2014 से इन लोगों का राज है, हिंदुत्ववादियों का राज है हिंदुओं का नहीं. और हमें हिंदुत्ववादियों को बाहर निकालना है और एक बार फिर हिंदुओं का राज लाना है.’

नई दिशा देने की कोशिशः सामना

राहुल गांधी की ओर से हिंदुत्व को लेकर पहली बार इस तरह का बयान नहीं दिया गया है कि हिंदू धर्म का एक कट्टरपंथी रूप है हिंदुत्व. उन्होंने इससे पहले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब में हिंदुत्व और आईएसआईएस तथा बोको हरम जैसे आतंकवादी समूहों के बीच विवादास्पद तुलना पर जारी विवाद का जवाब देते हुए इसी तरह के अंतर को दर्शाने की कोशिश की थी.

शिवसेना के मुखपत्र सामना ने कहा, ‘राहुल गांधी ने कांग्रेस को एक नई दिशा देने की कोशिश की है, जो बेकार धर्मनिरपेक्षता में फंस गई थी.’ इसमें आगे कहा गया है कि जयपुर में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी की उपस्थिति ने 2024 के आम चुनाव में देश के लिए रास्ता दिखाया है.

शिवसेना सांसद संजय राउत, जो सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं, ने कहा कि राहुल गांधी का भाषण सही दिशा में एक कदम है और देश में हिंदुओं की अनदेखी करके कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता है. संजय राउत ने नई दिल्ली में कहा, ‘भले ही देश (सभी धर्मों के लिए) सभी का है, लेकिन कोई भी बहुसंख्यक हिंदुओं की अनदेखी कर राजनीतिक रूप से आगे नहीं बढ़ सकता. इस (विषय) पर मेरी कई बार राहुल गांधी से चर्चा हो चुकी है. जयपुर में उनके भाषण का मतलब है कि कांग्रेस की आत्मा हिंदू थी. महात्मा गांधी से लेकर मदन मोहन मालवीय और लोकमान्य तिलक तक कई कांग्रेस नेताओं की आत्माएं हिंदू थीं. मुझे लगता है कि कांग्रेस अब इस दिशा में आगे बढ़ेगी.’

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं पर सौतेला व्यवहारः संजय राउत

शिवसेना के मुखपत्र ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह कहते हुए फटकार लगाई कि “दिल्ली के वर्तमान शासक हिंदू संस्कृति से मेल नहीं खाते हैं.” संपादकीय में आगे कहा गया है, “जब लोग कहते हैं कि ‘महंगाई बढ़ी है, और आम लोगों का जीना दुष्कर हो गया है, कुछ करो’, तो ‘राम मंदिर बन गया है और अब मथुरा मंदिर पर काम शुरू होगा’ जैसा जवाब हिंदू संस्कृति में फिट नहीं बैठता है. दिल्ली की मौजूदा सरकार हिंदू संस्कृति से मेल नहीं खाती. जैसा कि उद्धव ठाकरे कहते हैं कि यह फर्जी हिंदुत्व से भरा हुआ है.” नीति के तहत भाजपा की महाराष्ट्र इकाई सामना की संपादकीय में की गई टिप्पणी का जवाब नहीं देती है.

संपादकीय में तर्क दिया गया कि 1947 में धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ और जब से मुसलमानों को पाकिस्तान मिला, “तो यह सोचने में क्या गलत था कि शेष हिंदुस्तान हिंदुओं के लिए है?” इसमें आगे कहा गया है, “शुरुआत से ही हिंदुओं को अपने ही देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है.”