गठिया और साइटिका के लिए रामबाण औषधि माना जाता है ये काढ़ा, आप भी जानें इसके बारे में…

जोड़ों के दर्द की समस्या को सामान्य भाषा में लोग गठिया के नाम से जानते हैं, वहीं मेडिकल भाषा में इसे आर्थराइटिस कहा जाता है. पहले के समय में ये समस्या 50 के बाद की उम्र पर होती थी, लेकिन आजकल युवाओं के बीच भी ये समस्या बढ़ने लगी है. सर्दियों में ये परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है. समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. ऐसे में समय के साथ जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है, इससे जोड़ों में दर्द के साथ टेढ़ापन, सूजन और जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं.

अगर आपके साथ भी ऐसी परेशानी है तो यहां हम आपको बताने जा रहे हैं, ऐसी प्राकृतिक औषधि के बारे में जो गठिया के साथ साथ साइटिका की समस्या को दूर करने के लिए भी काफी कारगर मानी जाती है. बता दें कि साइटिका की बीमारी तंत्रिकाओं में सूखापन आने की वजह से होती है. इसका दर्द काफी असहनीय होता है. साइटिका से पीड़ित लोगों के लिए उठना बैठना भी मुश्किल हो जाता है. यहां जानिए गठिया और सा​इटिका जैसी समस्याओं पर रामबाण असर दिखाने वाली इस औषधि के बारे में.

हरसिंगार का काढ़ा है इसका बेहतरीन इलाज

आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो हरसिंगार जिसे पारिजात और नाइट जैस्मिन के नाम से जाना जाता है, इसका काढ़ा गठिया और साइटिका दोनों के लिए लाभकारी माना जाता है. इसके फूल, पत्ते और छाल में औष​धीय तत्व होते हैं, जो तमाम समस्याओं से राहत दिलाने की क्षमता रखते हैं. आयुर्वेद में जरूरत के हिसाब से इनका उपयोग किया जाता है. इसके पत्तों में टेनिक एसिड, मैथिल सिलसिलेट और ग्लूकोसाइड होता है. ये चीजें जोड़ों में चिकनाई बढ़ाने का काम करती हैं. यही वजह है कि हरसिंगार के पत्‍ते जोड़ों के दर्द को दूर करने में काफी कारगर माने जाते हैं. इसके अलावा हरसिंगार के पत्तों से बना काढ़ा साइटिका के दर्द में भी राहत देता है क्योंकि ये बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है.

ऐसे बनाएं काढ़ा

एक बार की डोज बनाने के लिए हरसिंगार के करीब पांच से सात पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं. जब पानी आधा रह जाए, तब इसे बंद कर दें और गुनगुना रहने पर पी लें. इसका सेवन सुबह खाली पेट करना अच्छा होता है.

इन बातों का ध्यान रखें

हरसिंगार का काढ़ा लेते समय कुछ बातोंं का ध्यान रखना चाहिए जैसे- ये काढ़ा हमेशा बैठकर पीना चाहिए और इसे लेने के बाद करीब एक घंटे तक कोई अन्य चीज न लें. इसके अलावा आप पानी को भी बैठकर पीने की आदत डालें, वरना समस्या नियंत्रित नहीं हो पाएगी. रोजाना नया काढ़ा बनाकर पीएं. इसे स्टोर करके न रखें. सबसे जरूरी बात कि इस काढ़े के सेवन से पहले एक बार आयुर्वेद विशेषज्ञ की राय जरूर ले लें क्योंकि कई बार व्यक्ति को कई तरह की अन्य समस्याएं भी होती हैं. ऐसे में इस काढ़े का किसी तरह का नुकसान न हो, इससे बचाव के लिए विशेषज्ञ की राय लेना जरूरी है.